उत्तर प्रदेश के मौसम में तेजी से बदलाव होने लगा है. शाम होते ही ठंडक बढ़ रही है. वहीं सुबह के वक्त भी खूब ठंड हो रही है. पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के चलते बादलों की आवाजाही भी शुरू है. जिसके चलते दिल्ली से लेकर यूपी के आगरा, मथुरा समेत कई जिलों में बारिश भी हुई. सुबह के समय बढ़ती हुई ठंड के साथ अब घना कोहरा भी आम लोगों के जीवन की मुश्किलों को बढ़ा रहा है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक 29 नवंबर से 30 नवंबर तक सहारनपुर, शामली ,मेरठ ,बिजनौर ,बागपत ,मुरादाबाद, रामपुर जिले में बारिश हो सकती है. वहीं बांदा, फतेहपुर, चित्रकूट, कौशांबी, प्रयागराज में बारिश होने की भी उम्मीद जताई गई है. इसके अलावा वाराणसी, मिर्जापुर, चंदौली और सोनभद्र में भी बारिश का अलर्ट है.
उत्तर प्रदेश में मौसम में 2 दिसंबर तक तेजी से बदलाव देखने को मिलेगा. मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया है कि आगामी 2 दिसंबर तक प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में छुटपुट बारिश का दौर जारी रहेगा. 29 नवंबर की रात्रि से पश्चिम विक्षोभ की सक्रियता के प्रभाव के चलते मध्यए क्षोभमंडल में अरब सागर से आ रही नमी का प्रभाव 2 दिसंबर तक बना रहने वाला है. 2 दिसंबर तक बादलों की आवा-जाही बनी रहेगी. प्रदेश के पश्चिमी भाग में 30 नवंबर तक और दक्षिण उत्तर प्रदेश में 2 दिसंबर तक बूंदा बांदी के साथ-साथ कहीं छुटपुट बारिश की संभावना भी है. आगामी 1 से 2 दिनों के भीतर मध्यवर्ती इलाकों में सुबह के समय कोहरा पड़ने की संभावना है.
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उत्तर प्रदेश में कोहरे का प्रभाव बढ़ने लगा है. मंगलवार को राजधानी लखनऊ पूरी तरीके से कोहरे की चादर में लिपटा हुआ था. वही ठंडी हवाएं और हल्की बारिश के असर के चलते न्यूनतम तापमान में गिरावट हुई है. नोएडा में सुबह कोहरा और धुंध रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है. वहीं न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस रह सकता है.
उत्तर प्रदेश में कोहरे का प्रकोप बढ़ने लगा है. घने कोहरे से जनजीवन प्रभावित होगा तो इसका असर फसलों पर भी पड़ेगा. कोहरे से आलू और मटर की फसल को अधिक नुकसान होगा. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को खेतों में नमी बनाए रखने की सलाह दी जा रही है. ज्यादा सिंचाई न करें. हल्की सिंचाई से फसल सुरक्षित रहेगी. पाले की संभावना को देखते हुए मिट्टी का तापमान बनाए रखने के लिए प्रति एकड़ फसल में 200 लीटर पानी में सल्फर मिलाकर छिड़काव करने से फसल सुरक्षित रहती है.
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