मौसम पूर्वानुमान बताने वाली निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट ने इस साल भारत में 'सामान्य से नीचे' मानसून की भविष्यवाणी की है. वहीं, मानसून के मौसम के दौरान लगातार चार वर्षों तक सामान्य और सामान्य से अधिक बारिश के बाद, यह पूर्वानुमान कृषि क्षेत्र और किसानों के लिए चिंता का विषय है. आमतौर पर देश में ज्यादातर खेती वर्षा आधारित होती है और कृषि क्षेत्र फसल उत्पादन के लिए मानसून की बारिश पर बहुत अधिक निर्भर होता है. वहीं, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अभी तक मानसून के मौसम के लिए अपना पूर्वानुमान जारी नहीं किया है, मंगलवार को मानसून पर अपना पूर्वानुमान जारी करेगा.
स्काईमेट का अनुमान है कि, आगामी मानसून चार महीने के मौसम (जून-सितंबर) के दौरान 868.6 मिमी की लंबी अवधि के औसत (एलपीए) के 94 प्रतिशत (+/- 5% के त्रुटि मार्जिन के साथ) के बराबर 'सामान्य से नीचे' रहेगा. बता दें कि एलपीए के 90-95 प्रतिशत के बीच मानसून की वर्षा को "सामान्य से नीचे" माना जाता है और एलपीए के 96-104 प्रतिशत के बीच "सामान्य" के रूप में जाना जाता है.
स्काईमेट वेदर के प्रबंध निदेशक जतिन सिंह ने कहा कि अल नीनो की वापसी से इस साल कमजोर मानसून की आशंका जताई जा सकती है. जतिन सिंह ने आगे कहा, ‘अब, ला नीना समाप्त हो गया है. प्रमुख महासागरीय और वायुमंडलीय न्यूट्रल ईएनएसओ के अनुरूप हैं. अल नीनो की संभावना बढ़ रही है और मॉनसून के दौरान इसके एक प्रमुख श्रेणी बनने की संभावना बढ़ रही है. अल नीनो की वापसी एक कमजोर मॉनसून की भविष्यवाणी कर सकती है.’
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स्काईमेट के अनुसार, सामान्य से कम मॉनसून की संभावना 40 फीसदी है और सूखे (एलपीए के 90 फीसदी से कम बारिश) की संभावना 20 फीसदी है. जबकि सामान्य वर्षा की 25 प्रतिशत संभावना और 'सामान्य से ऊपर' की संभावना 15 प्रतिशत है. स्काईमेट के अनुसार, जून में 165.3 मिमी के एलपीए के साथ 99 प्रतिशत बारिश, जुलाई में 280.5 मिमी के एलपीए के साथ 95 प्रतिशत बारिश, अगस्त में 254.9 मिमी एलपीए के साथ 92 प्रतिशत बारिश और सितंबर में 167.9 मिमी एलपीए के साथ 90 प्रतिशत बारिश होने की भविष्यवाणी की है.
निजी मौसम एजेंसी ने कहा है कि जुलाई के दौरान तमिलनाडु, आंतरिक कर्नाटक, ओडिशा, असम और मेघालय में सामान्य बारिश हो सकती है जबकि गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सामान्य से कम बारिश हो सकती है. जुलाई मानसून के मौसम का सबसे गीला मौसम होता है, जो कुल मौसमी वर्षा का 32 प्रतिशत से अधिक होता है. कम बारिश से असिंचित क्षेत्रों में पहले से बोई गई दलहन और सोयाबीन की फसल प्रभावित हो सकती है.
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पूर्व कृषि वैज्ञानिक एस के सिंह ने कहा है कि गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सितंबर के दौरान सामान्य से कम बारिश कपास, अरहर और सोयाबीन के लिए अच्छी होगी क्योंकि इन राज्यों में सितंबर-अक्टूबर में सामान्य से अधिक बारिश के कारण पिछले कुछ वर्षों में फसल को भारी नुकसान हुआ है.
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