उत्तर और मध्य भारत के बड़े हिस्से में लगातार छठे दिन शनिवार को भी भीषण गर्मी जारी रही, कई शहरों में अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा और पहाड़ी राज्यों के कुछ हिस्सों में उच्च तापमान दर्ज किया गया. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा कि हिमाचल प्रदेश, असम और मेघालय के कुछ हिस्सों और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में अलग-अलग स्थानों पर अधिकतम तापमान मौसमी औसत से 5.1 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा.
उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में भी तापमान सामान्य से काफी ज्यादा रहा. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इन पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार गर्मी के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल सकते हैं. ग्लेशियल झीलों के फटने से बाढ़ (GLOFs) का खतरा बढ़ सकता है और जंगल में आग लगने की आशंका बढ़ सकती है.
राजस्थान के श्रीगंगानगर और चूरू शनिवार को देश के सबसे गर्म स्थानों में शामिल रहे. यहां अधिकतम तापमान क्रमश: 46.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 5 और 4.1 डिग्री अधिक था. उत्तर प्रदेश में प्रयागराज और कानपुर में अधिकतम तापमान 45 और 44.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि गाजीपुर (44.5) में सामान्य से 6.3 डिग्री अधिक तापमान दर्ज किया गया.
मध्य प्रदेश में होशंगाबाद में 45.2 डिग्री सेल्सियस, खजुराहो (44.7 डिग्री), नौगांव (44.6 डिग्री) और ग्वालियर (42.5 डिग्री) में अधिकतम तापमान दर्ज किया गया. हरियाणा के रोहतक में 44.3 डिग्री सेल्सियस, जबकि चंडीगढ़ में 42.2 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया. पंजाब में पटियाला और अमृतसर में तापमान क्रमश: 42.6 और 42 डिग्री सेल्सियस रहा. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी भीषण गर्मी रही. आया नगर में अधिकतम तापमान 42.2 डिग्री सेल्सियस और पालम में 42 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. दिल्ली में तापमान 53.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है.
इस साल मॉनसून के जल्दी आने और उत्तर-पश्चिम तथा मध्य क्षेत्रों में लगातार गरज के साथ बारिश होने के कारण भारत में मई का महीना अपेक्षाकृत ठंडा रहा. लेकिन जून की शुरुआत से बारिश में तेज गिरावट के कारण तापमान में तेजी से वृद्धि हुई है. इससे 8-9 जून से व्यापक रूप से गर्मी की स्थिति पैदा हो गई है. यहां तक कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी राज्यों के कुछ हिस्सों में भी पिछले कुछ दिनों से सामान्य से अधिक गर्मी पड़ रही है.
आईएमडी के विस्तारित अवधि पूर्वानुमान के अनुसार, मॉनसून अब 18 जून तक मध्य और पूर्वी भारत के शेष हिस्सों और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ क्षेत्रों को कवर कर सकता है. 19 जून से 25 जून के बीच उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों में इसके आगे बढ़ने की उम्मीद है. आईएमडी के एक अधिकारी ने कहा कि सिस्टम के 30 जून की सामान्य शुरुआत की तारीख से पहले 22-23 जून तक दिल्ली पहुंचने की संभावना है.
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आमतौर पर 1 जून तक केरल में दस्तक देता है, 11 जून तक मुंबई पहुंचता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर करता है. यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से पीछे हटना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है. गंभीर और लगातार चलने वाली हीटवेव कम आय वाले परिवारों के लिए जीवन को कठिन बना रही है, जिनके पास पानी और ठंडक की सीमित पहुंच है.
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बाहरी काम करने वाले, बुजुर्ग और बच्चों को हीट थकावट और हीटस्ट्रोक का उच्च जोखिम है. पिछले साल, भारत के अस्पतालों में हीटस्ट्रोक के लगभग 48,000 मामले और अत्यधिक गर्मी के कारण 159 मौतें दर्ज की गईं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2015 से 2022 के बीच अस्पतालों के बाहर अत्यधिक गर्मी के कारण 8,171 लोगों की मौत हुई. स्वास्थ्य मंत्रालय के रिकॉर्ड से पता चलता है कि इसी अवधि के दौरान अस्पतालों में गर्मी से संबंधित 3,812 मौतें हुईं. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की खंडित मृत्यु रिपोर्टिंग प्रणाली और मौतों को सीधे गर्मी के संपर्क से जोड़ने में कठिनाइयों का मतलब है कि वास्तविक संख्या बहुत अधिक होने की संभावना है.
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