भारत का एक बड़ा हिस्सा भीषण गर्मी का सामना कर रहा है. राजस्थान में शुक्रवार को तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया. उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के कई हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ रही है. सिर्फ इतना ही नहीं 22 जगहों पर अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा दर्ज किया गया. भयंकर गर्मी ने बिजली ग्रिडों को प्रभावित किया और राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में लाखों लोगों को बिजली कटौती के बीच इस कड़ी गर्मी को झेलने के लिए मजबूर होना पड़ा.
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने कहा कि कम से कम दो दिन और लू की स्थिति बनी रहेगी. 15 जून से हल्की से मध्यम बारिश प्रभावित क्षेत्रों में तापमान में थोड़ी कमी ला सकती है. विभाग ने कहा कि इस हफ्ते मॉनसून फिर से गति पकड़ रहा है. 25 जून तक दिल्ली सहित उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों में मॉनसून दस्तक दे सकता है. राजस्थान के गंगानगर जिले में इस मौसम में अब तक का सबसे अधिक तापमान 49.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से आठ डिग्री अधिक है. राज्य के और भागों में भी भीषण गर्मी रही. चूरू में 47.6 डिग्री सेल्सियस, जैसलमेर में 46.9 डिग्री सेल्सियस, जोधपुर में 46.3 डिग्री सेल्सियस और बाड़मेर में 46.2 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया.
उत्तर प्रदेश में बांदा में 44.6 डिग्री सेल्सियस, झांसी में 44.9 डिग्री सेल्सियस और आगरा में 45.0 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया. हरियाणा के सिरसा में 47.6 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया, जबकि पंजाब के बठिंडा में 46.0 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया. मध्य प्रदेश में भी तापमान में वृद्धि देखी गई। खजुराहो में 45.0 डिग्री सेल्सियस, नर्मदापुरम में 44.4 डिग्री सेल्सियस और ग्वालियर में 44.5 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में तापमान 36 से 42 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा. लेकिन हीट इंडेक्स 50.3 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया. गुरुवार को यह 52.1 डिग्री सेल्सियस और बुधवार को 51.9 डिग्री सेल्सियस था. इस साल मॉनसून के जल्दी आने और उत्तर-पश्चिम और मध्य क्षेत्रों में लगातार गरज के साथ बारिश होने के कारण भारत में मई अपेक्षाकृत ठंडा रहा. लेकिन जून की शुरुआत से बारिश में तेज गिरावट के कारण तापमान में तेजी से वृद्धि हुई है. इससे 8-9 जून से व्यापक रूप से लू की स्थिति पैदा हो गई है.
पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी राज्यों के कुछ हिस्सों में भी सामान्य से ज्यादा गर्मी महसूस की जा रही है. आईएमडी के विस्तारित रेंज पूर्वानुमान के अनुसार, मॉनसून अब 18 जून तक मध्य और पूर्वी भारत के बाकी हिस्सों और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ इलाकों को कवर कर सकता है. इसके 19 जून से 25 जून के बीच उत्तर-पश्चिम भारत के ज्यादातर हिस्सों में पहुंचने की उम्मीद है. आईएमडी के एक अधिकारी ने कहा कि सिस्टम के 30 जून की सामान्य शुरुआत की तारीख से पहले 22-23 जून तक दिल्ली पहुंचने की संभावना है.
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आमतौर पर 1 जून तक केरल में दस्तक देता है, 11 जून तक मुंबई पहुंचता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है. यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से पीछे हटना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है. पानी और ठंडक की सीमित पहुंच वाले कम आय वाले परिवारों के लिए तेज और लगातार लू की वजह से ज़िंदगी मुश्किल हो रही है.
मौसम विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बाहर काम करने वाले, बुजुर्ग और बच्चों को गर्मी से थकावट और हीटस्ट्रोक का खतरा ज्यादा है. गुरुवार को नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) ने गर्मी के मौसम में अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों की सुरक्षा के लिए राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इसमें कहा गया है कि बढ़ते तापमान और लगातार गर्मी के कारण अनौपचारिक क्षेत्र के कामगार, जो भारत के शहरी कार्यबल का 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा हैं, सबसे ज्यादा जोखिम में हैं. एनडीएमए ने राज्यों से संवेदनशील समूहों की पहचान करने और उन्हें गर्मी की कार्ययोजना में प्राथमिकता देने को कहा. साथ ही इसने लचीले कामकाजी घंटों को बढ़ावा देने, पीने का पानी, छायादार रेस्ट जोन उपलब्ध कराने और एसएमएस और व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से सरल भाषा में गर्मी की चेतावनी साझा करने को सुनिश्चित करने की सिफारिश की.
पिछले साल, भारत के अस्पतालों में हीटस्ट्रोक के लगभग 48,000 मामले और अत्यधिक गर्मी के कारण 159 मौतें हुईं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2015 और 2022 के बीच, अस्पतालों के बाहर अत्यधिक गर्मी के कारण 8,171 लोगों की मौत हुई. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने स्वास्थ्य मंत्रालय के रिकॉर्ड बताते हैं कि इसी अवधि के दौरान अस्पतालों में गर्मी से संबंधित 3,812 मौतें हुईं. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की खंडित मृत्यु रिपोर्टिंग प्रणाली और गर्मी के कारण होने वाली मौतों को सीधे तौर पर जोड़ने में कठिनाइयों के कारण वास्तविक संख्या कहीं अधिक हो सकती है.
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