बीते कुछ दशकों में देश के कुछ हिस्सों में मॉनसूनी बारिश में गिरावट देखी गई है. दिल्ली स्थित एनर्जी इनवॉयरमेंट और वॉटर काउंसिल (CEEW) ने 40 वर्षों के दौरान मॉनसूनी में बदलाव का मूल्यांकन किया है और पाया कि सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों, पूर्वोत्तर भारत और हिमालयी क्षेत्र में पिछले दशक में मॉनसूनी बारिश में 10 फीसदी की कमी देखी गई है. रिपोर्ट के अनुसार 40 वर्षों के दौरान देश के 30 फीसदी जिलों में कम बारिश वाले वर्ष देखे गए. नई दिल्ली, बेंगलुरु, नीलगिरी, जयपुर, कच्छ और इंदौर सहित कम से कम 23 फीसदी जिलों में अत्यधिक बारिश वाले साल देखे गए.
एनर्जी इनवॉयरमेंट और वॉटर काउंसिल (CEEW) ने 40 वर्षों के दौरान मॉनसूनी में बदलाव का मूल्यांकन किया है. इस दौरान जून-सितंबर में दक्षिण-पश्चिम मॉनसूनी के दौरान बारिश की घटती प्रवृत्ति 40 वर्षों में तहसीलों में लगभग 11 प्रतिशत है. जबकि, सिंधु-गंगा के मैदान, पूर्वोत्तर भारत और हिमालयी क्षेत्र की तहसीलों, मंडलों में क्लाइमेट बेसलाइन 1982-2011 की तुलना में पिछले दशक 2012-2022 में 10 प्रतिशत की कमी देखी गई है.
एनर्जी इनवॉयरमेंट और वॉटर काउंसिल के श्रवण प्रभु और विश्वास चितले के डिकोडिंग इंडियाज चेंजिंग मॉनसून पैटर्न: ए तहसील लेवल असेसमेंट आकलन के अनुसार देश की जिन तहसीलों में मॉनसूनी बारिश में कमी देखी गई उनमें से अनुमानित 68 प्रतिशत में सभी महीनों के दौरान मॉनसूनी की वर्षा प्रभावित हुई है. जबकि, 87 प्रतिशत में जून और जुलाई के महत्वपूर्ण महीनों के दौरान मॉनसूनी बारिश में गिरावट देखी गई. देश की सभी तहसीलों में से लगभग 64 प्रतिशत में पिछले दशक में भारी वर्षा वाले दिनों में प्रति वर्ष 115 फीसदी की वृद्धि देखी गई है. यह पैटर्न सर्वाधिक घरेलू उत्पादन वाले राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात और कर्नाटक में प्रमुख रहा है.
पिछले 40 वर्षों में देश में जून-सितंबर के दौरान 29 वर्षों में 'सामान्य' बारिश, 9 वर्षों में 'सामान्य से अधिक' और 3 वर्षों में 'सामान्य से कम' मॉनसूनी वर्ष देखा गया. इस दौरान अनुमानित 30 फीसदी जिलों में कम बारिश वाले वर्ष देखे गए और 38 फीसदी जिलों में अधिक संख्या में अत्यधिक वर्षा वाले वर्ष देखे गए. नई दिल्ली, बेंगलुरु, नीलगिरी, जयपुर, कच्छ और इंदौर सहित कम से कम 23 फीसदी जिलों में अत्यधिक बारिश वाले साल देखे गए. पिछले दशक क्लाइमेट बेसलाइन 2012-2022 के दौरान 55 फीसदी तहसीलों में 10 फीसदी की वृद्धि देखी गई. जबकि, राजस्थान, गुजरात, मध्य महाराष्ट्र और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों की तहसीलों में बारिश में गिरावट देखी गई.
तमिलनाडु की लगभग 80 प्रतिशत तहसीलों में 2012-22 में नॉर्थईस्ट मॉनसूनी वर्षा में 10 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है. तेलंगाना में 44 प्रतिशत और आंध्र प्रदेश में 39 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है. पश्चिमी तट पर महाराष्ट्र और गोवा की तहसीलों और पूर्वी तट पर ओडिशा और पश्चिम बंगाल में अक्टूबर-दिसंबर में होने वाली बारिश में वृद्धि देखी गई है. मासिक बदलाव विश्लेषण से संकेत मिलता है कि देश में लगभग 48 प्रतिशत तहसीलों में अक्टूबर में 10 प्रतिशत से अधिक वर्षा देखी गई, जो पूर्ववर्ती दक्षिण-पश्चिम मॉनसूनी की देरी से वापसी के कारण हुई.
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