क्लाइमेट चेंज का असर साफ-साफ दिख रहा है. जिस नवंबर में ठंड पड़नी चाहिए, उस महीने में लोग पंखा चलाकर सो रहे हैं. इस महीने में लोगों को पसीने आ रहे हैं. यह जलवायु परिवर्तन का ही असर है. इसका प्रभाव खेती-बाड़ी पर भी दिख रहा है. नवंबर महीने में अच्छी ठंड पड़ती है तो रबी फसलों की बढ़वार अच्छी रहती है. खासकर गेहूं और सरसों को इससे फायदा होता है. दोनों फसलों की बुवाई चल रही है या कई जगह अभी अंकुरण की अवस्था में हैं. ऐसे में तापमान का अधिक होना इस तरह की रबी फसलों के लिए घातक साबित हो सकता है.
नवंबर महीने में तापमान अधिक रहना और गर्मी का अहसास होना कई फसलों के लिए अच्छा संकेत नहीं है. इस बारे में सबसे बड़ी चिंता गुजरात से आ रही है जहां फसलों की बुवाई के पिछड़ने की खबर है. गुजरात के कृषि महानिदेशक ने जानकारी दी है कि इस बार प्रदेश में 3.08 लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की बुवाई हुई है जो कि पिछले साल से 47 परसेंट कम है. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि मौसम पर क्लाइमेट चेंज का असर देखा जा रहा है.
गुजरात में ऐसा पहली बार हुआ कि किसानों के नाम एडवाइजरी जारी की गई और कहा गया कि वे रबी फसलों की बुवाई अभी रोक दें. कृषि विभाग ने बताया कि अक्टूबर और नवंबर में रोज का तापमान लगभग 34 और 36 डिग्री के आसपास चल रहा है जो कि रबी फसलों की बुवाई के लिए ठीक नहीं है. बाकी प्रदेशों की बात करें तो जहां किसानों ने रबी फसलों की बुवाई कर ली है, उन्हें चिंता इस बात की है कि अगर तापमान नहीं गिरा, ठंड नहीं बढ़ी तो उनकी फसलों का क्या होगा.
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गुजरात कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रबी फसलें जैसे कि चना, सरसों, लहसुन, जीरा, गेहूं, धनिया और प्याज को अंकुरण के लिए 25 से 30 डिग्री के बीच तापमान होना चाहिए. लेकिन तापमान इससे अधिक चल रहा है. ऐसे में अगर इन फसलों की बुवाई तब तक नहीं करनी चाहिए जब तक यह तापमान मेंटेन न हो जाए. अभी हाल में गुजरात के डिप्टी डायरेक्टर भावेश पटेल ने कहा कि अभी दिन का तापमान अंकुरण वाले तापमान से अधिक चल रहा है.
सामान्य तौर पर नवरात्रि के बाद तापमान में गिरावट आने लगती है और दिवाली तक ठंड पूरी तरह से सेट हो जाती है. मगर इस बार ऐसा नहीं हुआ. दिवाली बीते 15 दिन हो गए और ठंड का अभी अता-पता नहीं है. तापमान में इस वृद्धि के लिए क्लाइमेट चेंज को जिम्मेदार बताया जा रहा है. यही वजह है कि किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की जा रही है कि वे अभी रबी फसलों की बुवाई न करें. अगर फसल की बुवाई की है तो फव्वारा विधि से सिंचाई करने की सलाह है. अगर किसी फसल की बुवाई करनी है तो फव्वारा विधि से सिंचाई करनी चाहिए.
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इस बार के मौसम में कई तरह की विसंगतियां देखी जा रही हैं. इस वजह से किसानों ने फसलों की बुवाई देर से शुरू की है. इस बार गर्मी में अधिक तापमान रहा, मॉनसून में 30 फीसद अधिक बारिश हुई और अब ठंड में गर्मी का अहसास हो रहा है. इससे सबसे अधिक नुकसान सब्जी की फसलों को हुआ है और रबी फसलों की बुवाई पिछड़ गई है. अभी अधिकतम तापमान अधिक चल रहा है जिससे फसलों के अंकुरण और फसल की पूरी ग्रोथ प्रभावित हो सकती है. अगर बुवाई नहीं की है तो उचित तापमान का इंतजार करने की सलाह दी जा रही है.
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