अगले 6 दिनों में इन राज्यों में शुरू होगी लू की मार, प्रचंड गर्मी से जल उठेंगी फसलें!

अगले 6 दिनों में इन राज्यों में शुरू होगी लू की मार, प्रचंड गर्मी से जल उठेंगी फसलें!

जिन राज्यों में सामान्य से ज़्यादा लू (हीटवेव) वाले दिन रहने की संभावना है, उनमें राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक और तमिलनाडु के उत्तरी हिस्से शामिल हैं.

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अगले 6 दिनों में इन राज्यों में शुरू होगी लू की मार, प्रचंड गर्मी से जल उठेंगी फसलें!देश के कई राज्यों में लू का असर दिखने वाला है

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने शुक्रवार को कहा कि अगले छह दिनों में उत्तर-पश्चिम भारत में लू चलने की संभावना है, दिल्ली में तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की उम्मीद है. प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में दक्षिणी हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, गुजरात, राजस्थान और पश्चिमी मध्य प्रदेश शामिल हैं. इस लू का बड़ा असर फसलों पर देखा जाएगा, खासकर गेहूं और चना जैसी फसलें. कई इलाके ऐसे हैं जहां गेहूं अपने अंतिम चरण में है. अधिक तापमान बढ़ने से गेहूं की पैदावार पर संकट आ सकता है.

आईएमडी ने कहा कि इस अवधि के दौरान मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान में 2 से 4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की उम्मीद है. दिल्ली में 6 या 7 अप्रैल तक कुछ स्थानों पर दिन का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच सकता है.

अप्रैल से जून तक तबाही

इस सप्ताह की शुरुआत में विभाग ने कहा था कि भारत में अप्रैल से जून तक सामान्य से अधिक तापमान रहने की उम्मीद है. साथ ही मध्य और पूर्वी भारत और उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में अधिक गर्मी वाले दिन होंगे. आमतौर पर, भारत में अप्रैल से जून के बीच चार से सात दिन गर्मी वाले (लू) दिन दर्ज किए जाते हैं. सामान्यतः भारत में अप्रैल से जून के बीच चार से सात दिन तक लू चलती है.

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जिन राज्यों में सामान्य से ज़्यादा लू (हीटवेव) वाले दिन रहने की संभावना है, उनमें राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक और तमिलनाडु के उत्तरी हिस्से शामिल हैं.

उत्तर प्रदेश (इसका पूर्वी क्षेत्र), झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे कुछ राज्यों में इस अवधि के दौरान 10 से 11 लू वाले दिन देखने को मिल सकते हैं. पिछले साल भारत में बहुत ज़्यादा गर्मी रही थी. साल 2024 भी भारत और दुनिया भर में सबसे गर्म साल रहा.

फरवरी में गर्म लहरें शुरू

इस साल, भारत के कई हिस्सों में 27-28 फरवरी की शुरुआत में ही गर्मी की लहरें आ गई थीं. साल 2024 में पहली गर्मी 5 अप्रैल को दर्ज की गई थी. हालांकि भारत में अप्रैल और मई के दौरान गर्मी की लहरें आम हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ये लगातार और तेज होती जा रही हैं.

2022 के एक अध्ययन में कहा गया है कि 21वीं सदी में गर्मी की लहरों का जोखिम 10 गुना बढ़ने की संभावना है. भारत के 70 प्रतिशत से अधिक इलाके में भीषण गर्मी की लहरें आ सकती हैं. 

अप्रैल महीने में गुजरात में गर्मी का पारा 40 डिग्री से पार हो सकता है. वैसै में अब मौसम विभाग ने सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र के लिए अगले 6 दिनों के लिए हीटवेव की चेतावनी जारी कर दी है. मौसम विभाग ने आज और कल 2 दिन के लिए कच्छ में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है जबकि राजकोट में येलो अलर्ट दिया गया है. मौसम विभाग के मुताबिक राज्य के ज्यादातर इलाकों में गर्मी का पारा 40 से 43 डिग्री के बीच रहेगा. अहमदाबाद और आसपास के इलाकों में पारा 40 डिग्री के पास रहेगा.

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मौसम विभाग ने पूर्वानुमान जारी करते हुए कहा कि राज्य के ज्यादातर जिलों में मौसम शुष्क रहेगा. 6 अप्रैल से 9 अप्रैल के दौरान उत्तर गुजरात में हीटवेव की संभावना है जिसकी वजह से गांधीनगर, साबरकांठा, महेसाणा, बनासकांठा, अरवली में येलो अलर्ट जारी किया गया है. शुक्रवार को गुजरात के ज्यादातर शहरों में गर्मी का पारा 42 डिग्री तक जाने की संभावना है. गुरुवार को सुरेंद्रनगर में सबसे ज्यादा 43 डिग्री गर्मी दर्ज की गई थी. इसके अलावा कच्छ के भुज में 42.8 डिग्री, राजकोट 42.7 और अहमदाबाद में 40 डिग्री तापमान दर्ज किया गया था.

फसलों पर असर

एक स्टडी में कहा गया है कि पूरे मध्य भारत में जलवायु परिवर्तन की वजह से मार्च महीने में लू का असर देखा गया जिससे कई फसलें प्रभावित हुई हैं और पेयजल की समस्या खड़ी हुई है. मध्य एशिया के कई देशों में मार्च का तापमान 10 डिग्री तक अधिक रहा. इसके पीछे क्लाइमेट चेंज बड़ी वजह है जिसने लू के तापमान को 4 डिग्री अधिक बढ़ा दिया. यह स्टडी 'वर्ल्ड वेदर एट्रीब्यूशन' ने जारी की है. इसमें कहा गया है कि मार्च के गर्म महीने ने कई फसलों को प्रभावित किया है और पेयजल का संकट पैदा किया है.

 

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