बिहार के वनीय क्षेत्र को बढ़ाने की दिशा में राज्य सरकार ने कदम बढ़ा दिए हैं. इसके लिए राज्य स्तर पर पौधरोपण की तैयारी चल रही है. बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि राज्य का वन क्षेत्र काफी कम है. इसे हमें 30 फीसदी से बढ़ाकर ऊपर ले जाना है, ताकि आने वाली पीढ़ियां ग्रीन कवर का आनंद ले सकें और हम पृथ्वी को जलवायु बदलावों से होने वाले नुकसान को कम कर सकें.
देशभर में लोगों को पौधारोपण के प्रति जागरूक करने के लिए "एक पेड़ मां के नाम" अभियान के तहत कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इसी के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना में बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने पौधा लगाया. उन्होंने कहा कि हमें 'सर्वे जनाः सुखिनो भवन्तुः' को आत्मसात करना चाहिए. हर मानव जाति का यह दायित्व बनता है कि वे सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, जानवर आदि के हित की सोचें. कार्बन उत्सर्जन पर बोलते हुए उन्होंने कहा की दूसरे देश हमारे देश पर कार्बन डेटिंग के नाम पर अंगुली उठाते हैं, मगर ज्यादा प्रदूषण विदेशों में ही होता है. पर्यावरण को उन्हें सुधारने की जरूरत है. पर्यावरण के प्रति भारत सदैव सजग रहा है.
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर कहा कि भारत प्रकृति के सानिध्य में रहने वाला देश है. हमारे संत-महात्मा, ऋषि-मुनियों ने हमेशा यही सीख दी है कि हमें प्रकृति के सानिध्य में रहना है. लेकिन, बिहार का वन क्षेत्र बहुत कम है. जिम्मेदारी हमारी है कि इस ग्रीन कवर को आने वाली पीढ़ी के लिए हम तैयार करें. इसे 30 फीसदी से अधिक लेकर जाएं. ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी जब हमसे पर्यावरण पर सवाल करें तो उसका सकरात्मक जवाब देने को हम तैयार रहें.
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पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि लालच, आधुनिक सुख-सुविधा और भौतिकवादी विकास के कारण आज हमें प्रकृति रुला रही है. हमने प्रकृति से छेड़छाड़ की, नदियों, पहाड़ों, जंगलों एवं पेड़ों को तहस-नहस किया है. जिसका परिणाम जलवायु परिवर्तन का भयानक प्रकोप आज पूरी दुनिया झेल रही है. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डी.आर सिंह ने कहा की वर्तमान परिदृश्य में वृक्षारोपण आवश्यक हो गया है क्योंकि प्रदूषण चरम पर है. कुछ हद तक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए वृक्षारोपण ही एकमात्र उपाय है.
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