जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ सहित कई नहरी क्षेत्र के गांवों में मंगलवार शाम को अचानक मौसम बदला और बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई. इससे खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद होने के साथ मंडियों में तुलाई के लिए रखी गई उपज भीग गई. मंडियों में ईसबगोल और धान की उपज बड़ी मात्रा में बिकने के लिए रखी गई थी जो बारिश और ओलावृष्टि से भीग गई है. इससे उपजों के खराब होने की आशंका बढ़ गई है. इस बरसात से ईसबगोल को काफी नुकसान बताया जा रहा है. किसानों का कहना है कि उन्होंने कर्ज लेकर खेती की थी, लेकिन अब बारिश ने सबकुछ चौपट कर दिया. किसानों का कहना है कि बारिश और ओले ने उनकी पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया है.
जैसलमेर जिले के मोहनगढ़, सुथारवाला, सुल्ताना, नेहड़ाई, रामगढ़ आदि क्षेत्रों में मंगलवार शाम को अचानक बरसात हुई. मोहनगढ़ क्षेत्र में चने के आकार के ओले पड़े और तेज बारिश देर तक जारी रही. इस ओलावृष्टि और बरसात से किसानों को भारी नुकसान होने की जानकारी मिली है. मोहनगढ़ मंडी में किसान अपनी पैदावार को तुलाई के लिए ट्रैक्टरों और अन्य साधनों से लेकर आए थे. मंडी में किसानों ने अपनी धान की पैदावार को खुले में रखा था.
मंगलवार को उपजों की नीलामी की तैयारी हो रही थी. इसी दौरान अचानक ओलावृष्टि शुरू हो गई और तेज बारिश आ गई. इससे किसानों की खुले में पड़ी धान की बोरियां भीग गईं. यह देखकर किसान एकदम मायूस हो गए. जब बरसात हुई तब खुले में ईसब, चना और सरसों रखा हुआ था. मंडियों में पानी लगने से ईसब को भारी नुकसान पहुंचा है. ईसब में एक बार पानी लगने से वह पूरी तरह से खराब हो जाती है. बताया जाता है कि मोहनगढ़ मंडी क्षेत्र में शेड बने हुए हैं, लेकिन उन शेडों पर मोहनगढ़ के कई व्यापारियों का कब्जा है. इन व्यापारियों ने अपनी धान की बोरियां दो-तीन साल शेड में से रखी हुई हैं जिसकी वजह से मजबूरन किसानों को अपना धान खुले में रखना पड़ा था.
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किसान नेता अचलाराम जाट ने इस नुकसान की पुष्टि करते हुए बताया कि मोहनगढ़ मंडी और आसपास के क्षेत्रों में बारिश से ईसब सहित कई जींसों को भारी नुकसान हुआ है. मंडी में हजारों बोरियां पड़ी हुई थीं जो बारिश से भीग गई हैं. अचानक बरसात होने से किसान इन बोरियों को कहीं सुरक्षित स्थान पर ले नहीं जा सके.
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किसान शाहबान खान ने बताया कि अपनी फसलों की तुलाई के लिए मंगलवार को वे मोहनगढ़ मंडी आए थे. मंडी में नीलामी की तैयारी हो रही थी. इसी दौरान चने के आकार के ओले पड़ने शुरू हो गए और बाद में बरसात शुरू हो गई. मंडी में तुलाई के लिए हजारों बोरियां रखी गई हैं जो अचानक बरसात आने से पूरी तरह भीग गईं. इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है. शाहबान खान इस नुकसान के लिए मंडी प्रशासन को जिम्मेदार मानते हैं. वे कहते हैं कि मंडी में व्यापारियों का कब्जा होने से किसानों की उपज नहीं रखी जा रही है. किसानों की उपज खुले में पड़ी रहती है.
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