आमतौर पर किसान सहजन की खेती इसकी फली बेचने के लिए करते हैं, लेकिन तमिलनाडु के तिरुपुर जिले के सोमनकोट्टई गांव के रहने वाले डॉ. कंदासामी सरवनन सहजन की पत्तियों से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. उन्होंने चार एकड़ जमीन पर सहजन का बाग तैयार किया है. वे मृदा (मिट्टी) वैज्ञानिक के रूप में कई साल काम कर चुके है. दरअसल, दशकों से डॉ. कंदासामी का परिवार सहजन की खेती कर फली बेचा करता था, लेकिन क्षेत्र में बढ़ते उत्पादन के कारण फली के दाम बेहद निचले स्तर पर पहुंचने लगे और उन्हें घाटा उठाना पड़ रहा था. यह स्थिति देखकर उन्हें कुछ बदलाव करने की सूझी और उन्होंने अन्य तरीकों और बाजारों में इसकी मांग और कीमत के बारे में जानकारी हासिल की.
'द बेटर इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. कंदासामी सरवनन ने बताया कि जब उन्होंने सहजन के बाजार के बारे में जानकारी हासिल की तो पता चला कि बाजार में सहजन की आपूर्ति ज्यादा है. यही वजह थी कि उन्हें कम दाम मिल रहे थे, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी पत्तियों की मांग ज्यादा है और उसी समय उन्हाेंने पत्तियों की खेती कर उन्हें बेचने का फैसला किया. डॉ. सरवनन सहजन की पत्तियों को प्रोसस करके लीफ सूप और पाउडर जैसे प्रोडक्ट्स बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. वे 800 रुपये प्रति किलोग्राम से ज्यादा की कीमत पर इन उत्पादों को यूएसए, कनाडा, यूरोप और कई खाड़ी देशों में बेच रहे हैं.
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डॉ. कंदासामी सरवनन को मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विज्ञान में 20 साल से ज्यादा का अनुभव है. वर्ष 2017 में उन्होंने तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय से मृदा वैज्ञानिक के अपने पद से इस्तीफा दे दिया और खेती में अपने ज्ञान का उपयोग करने का फैलसा किया. हालांकि, डॉ. सरवनन के पिता ने शुरू में उनकी फैसले का विराेध किया, लेकिन बाद में उनकी राय बदल गई.
डॉ. सरवनन बताते है कि सहजन की फली के उत्पादन के लिए खेती में पौधों को 15 फीट की दूरी पर लगाया जाता है, जबकि इसकी पत्तियों की खेती के लिए पौधों को एक-दूसरे के करीब लगाया जाता है. जब पेड़ दो फीट ऊंचाई हासिल कर लेता है तो पत्तियों को काट दिया जाता है.
डॉ. सरवनन ने बताया कि अगर पेड़ में फूल उगने देते हैं तो पत्तियों में जमा पोषण सहजन की फली को उगाने में खर्च हो जाता है और कम गुणवत्ता वाली पत्तियां मिलती हैं. इसलिए वह फूल आने से पहले पत्तियां काट लेते हैं. वे बताते हैं कि 50 से 60 दिनों के गैप में छह बार तक पत्तियों की कटाई की जा सकती है, जिससे साल भर उत्पादन मिलता रहता है. अब उन्हें हर महीने 40 हजार रुपये का मुनाफा हासिल हो रहा है.
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