हिमाचल प्रदेश का नाम सुनते ही जेहन में सबसे पहले सेब का नाम सामने आता है. लोगों को लगता है कि हिमाचल के किसान सिर्फ सेब की ही खेती करे हैं, लेकिन ऐसी बात नहीं है. यहां के किसान अब विदेश फ्रूट की भी खेती कर रहे हैं. बिलासपुर जिले में एक किसान ने ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है. जिले के घुमारवीं के पास पनोह गांव के सुनील चंदेल ने अपनी तीन कनाल भूमि पर एक ड्रैगन फार्म विकसित किया है. इससे उन्हें अच्छी कमाई की उम्मीद है. लेकिन अब वे इस फसल को 12 कनाल क्षेत्र में विस्तारित करना चाहते हैं.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, ड्रैगन फ्रूट एक स्वादिष्ट फल है जिसकी कीमत लगभग 100 से 150 रुपये प्रति किलोग्राम होती है. इसकी खेती के लिए कम सिंचाई की आवश्यकता होती है. साथ ही इसकी फसल को जानवर भी बर्बाद नहीं कर पाते हैं. कृषि विशेषज्ञ और ग्रामीण विकास प्राधिकरण के सेवानिवृत्त परियोजना अधिकारी चंदेल ने कहा कि मैंने पिछले साल ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है और तीन साल में ये पौधे फल देना शुरू कर देंगे. उन्होंने कहा कि उन्होंने 100 खंभे लगाए हैं, जिनमें से प्रत्येक में चार पौधे हैं. यानी उन्होंने कुल 400 ड्रैगन के पौधे लगाए हैं.
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उन्होंने कहा कि परिपक्व होने के बाद इस फार्म में लगभग 15 क्विंटल ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन होगा और इसकी बिक्री आसानी से लगभग 2 लाख रुपये तक हो सकती है. पायलट प्रोजेक्ट पर निवेश के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि खंभे और रिंग की लागत लगभग 2,000 रुपये है जबकि श्रम और खाद की लागत लगभग 50,000 रुपये है. उन्होंने कहा कि चूंकि यह पूरी तरह से प्राकृतिक खेती की अवधारणा पर आधारित है, इसलिए हर साल इसके रखरखाव की लागत 1,500 रुपये से अधिक नहीं होगी.
चंदेल ने कहा कि फलों के अलावा, किसान मातृ पौधों से चार साल बाद पौधों का आसानी से प्रचार-प्रसार कर सकते हैं और ड्रैगन फ्रूट की नर्सरी विकसित कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि पौधों के आकार के आधार पर यह पौधा 100 रुपये से 200 रुपये के आसपास बेचा जा सकता है. चंदेल ने बताया कि कृषि या बागवानी सहित किसी भी सरकारी विभाग ने ड्रैगन फ्रूट की खेती को प्रोत्साहित नहीं किया है और न ही सरकार ने फल के प्रति कोई समर्थन दिखाया है.
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उन्होंने कहा कि अगर प्रोत्साहित किया जाए तो यह क्षेत्र के लिए एक बड़ी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाला हो सकता है और अधिकांश बंजर भूमि को भी ड्रैगन फ्रूट की खेती के तहत लाया जा सकता है. चंदेल ने कहा कि उनके खेत में लगे ड्रैगन के पौधों पर अब कलियां भी लगनी शुरू हो गई हैं. चंदेल ने बताया कि वह इस साल फूल तोड़ेंगे, क्योंकि वह चाहते हैं कि फल लगने से पहले पौधे स्वस्थ हों.
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