
कहते हैं ना कि अगर कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो मिट्टी में भी सोना उगाया जा सकता है. दरअसल, हम यहां बात एक ऐसे किसान की कर रहे हैं, जो भूमिहीन होने के बावजूद भी अपनी कड़ी मेहनत और लगन से उसी मिट्टी में सब्जी की खेती करके 60 लाख रुपये की आमदनी कमा रहे हैं. ये कहानी बिहार के रोहतास जिले के सासाराम के रहने वाले दिलीप कुमार की है जो सब्जी और अन्य फसलों की खेती करके सिर्फ बिहार का ही नहीं बल्कि पूरे देश के किसानों का आदर्श बने हुए हैं. दिलीप कुमार मौजूदा समय में एक समृद्ध किसान हैं जो लीज पर जमीन लेकर खेती करते हैं और लाखों रुपये की कमाई करते हैं. आइए जानते हैं इनकी कहानी.
किसान दिलीप कुमार ने किसान तक को बताया कि उनकी उम्र 50 साल है और वह लगभग 30 सालों के खेती कर रहे हैं. दिलीप कुमार खेती करने से पहले बाजारों में सब्जी बेचा करते थे. उन्होंने बताया कि खेती में आने के बाद वे सबसे पहले 2 एकड़ खेत लीज पर लेकर टमाटर की खेती शुरू की थी, जिसमें उन्हें पहली बार में ही 1 लाख 25 हजार रुपये का मुनाफा हुआ. दिलीप ने बताया कि अब उसी 1 लाख 25 हजार रुपये से 60 एकड़ जमीन लीज पर लेकर अभी हर साल 60 लाख रुपये की शुद्ध कमाई कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनकी सबसे अधिक कमाई टमाटर और प्याज से होती है.
सासाराम के रहने वाले दिलीप कुमार अपने 60 एकड़ खेत में 15 एकड़ में टमाटर, 5 एकड़ में बैंगन, 6 एकड़ खेत में मिर्च, 10 एकड़ में प्याज, 2 एकड़ जमीन में मसूर, 30 एकड़ खेत में धान और 10 एकड़ में गेहूं, दलहन, तिलहन फसलों के अलावा ब्रोकली, शिमला मिर्च और औषधीय पौधे के साथ-साथ एक दो सालों के चिया सीड्स भी उगा रहे हैं. दिपील कुमार ज्यादातर सब्जी की खेती जैविक तरीके से करते हैं. इसलिए उनको खेती में अधिक लाभ हो रहा है.
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दिलीप कुमार ने बताया कि वे अपनी सभी फसलों को देश की बड़ी मंडियों और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेचते हैं. साथ ही राज्य और जिले की कई प्राइवेट कंपनियां भी उनकी उपजों को खेतों से खरीद कर ले जाती हैं. इसकी वजह से उन्हें उनकी फसलों के अच्छे दाम मिलते हैं, जिससे वे जिले और शहर के आसपास के लगभग 100 लोगों को रोजगार मुहैया करवाते हैं. उन्होंने बताया कि सब्जी के सीजन में उनकी खेती में लगभग 100 से अधिक लोग काम करते हैं. जिन्हें वे खेती के अलग-अलग तरीके भी सिखाते हैं.
किसान दिलीप कुमार ने बताया कि अपने अनुभव के आधार पर कुछ प्रयोग करके फसलों में लगने वाले रोग और कीट नियंत्रण के लिए जैविक तरीके के कीटनाशक का भी प्रयोग करते हैं. उन्होंने बताया कि वह नीम के पत्ते से खुद रिसर्च करके जैविक खाद और कीटनाशक तैयार करते हैं जो फसलों के लिए काफी फायदेमंद होता है. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि वे बंजर भूमि पर खेती करके भी कमाई करते हैं, जिसमें वो अपनी कमाई का 2 चौथाई हिस्सा भूमि को उपजाऊ बनाने में लगाते हैं. इसके अलावा एक चौथाई हिस्सा रिसर्च में खर्च करते हैं और बचे हुए 1 चौथाई हिस्से से अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.
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