
हरियाणा के हिसार सलेमगढ़ के रहने वाले डॉ. विकास कुमार वर्मा उन लोगों में शामिल हैं जो किसानों को मुफ्त ट्रेनिंग देकर उनकी जिंदगी संवारने का काम करते हैं. दूसरे किसानों को राह दिखाने के साथ ही विकास वर्मा खुद बड़े किसान हैं जो मशरूम की खेती करते हैं. खेती के साथ ही विकास कुमार मशरूम के कई प्रोडक्ट तैयार करते हैं. वे अभी तक देश भर के 35 हजार किसानों को मशरूम की खेती की फ्री ट्रेनिंग दे चुके हैं. कृषि शिक्षण सस्थाओं के छात्र-छात्राओ और किसानों को वे लगातार ट्रेनिग देते आ रहे हैं. डॉ. कुमार मशरूम की खेती से हर साल 20 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं.
देश में बटन मशरूम की काफी डिमांड रहती है. इसे देखते हुए डॉ. विकास कुमार से जुड़ कर 35000 किसानों ने इसकी खेती की ट्रेनिंग ली है. हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, केरला में बटन मशरूम की बेहद मांग रहती है. यह सब्जी महंगी जरूर है, लेकिन कई तरह के विटामिन और पौष्टिक तत्व पाए जाने से हर सीजन में इसकी भारी डिमांड देखी जाती है.
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डॉ. विकास कुमार ने बताया कि गुजरात में मशरूम की खेती का बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहे हैं. मशरूम को घर में या खेत में कम खर्च में उगा सकते हैं. मशरूम की खेती के लिए वे खुद कंपोस्ट खाद तैयार करते हैं. यहां तक कि अपनी कंपोस्ट खाद को दूसरे किसानों को भी भिजवाते हैं. आज कई किसान डॉ विकास वर्मा से जुड़ कर बड़े स्तर पर मशरूम की खेती रह रहे हैं. सलेमगढ़ के रहने वाले डॉ. कुमार ने 2016 में मशरूम की खेती शुरू की थी. इसके बाद 2019 में उन्होंने बड़े स्केल पर कंपोस्ट खाद बनाना शुरू किया. उन्होंने 10-10 किलो का बैग बेचना शुरू किया और तरह हर साल 40 हजार कंपोस्ट खाद के बैग की बिक्री करते हैं.
अपनी मेहनत से विकास कुमार ने खुद की कंपनी खड़ी की जिससे वे किसानों को मशरूम और कंपोस्ट खाद देते हैं. हालांकि ट्रेनिंग देने का काम पूरी तरह से फ्री होता है. उनके उगाए मशरूम आजकल पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, चंडीगढ़ और केरला जैसे राज्यों में भेजे जाते हैं. भारत के अलावा जापान, फ्रांस और जर्मनी में मशरूम की सप्लाई की जाती है. आज स्थिति ये है कि विकास कुमार के कई भाई और परिजन भी मशरूम की खेती कर रहे हैं और बेहतर कमाई कर रहे हैं.
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मशरूम की खेती के लिए कंपोस्ट खाद तैयार करना बड़ा काम है. इसके बारे में डॉ. विकास कुमार बताते हैं कि भूसा, मुर्गी बिट, जिप्सम डाल कर खाद को 30 दिनों के अंदर तैयार किया जाता है. इस खाद की मदद से किसान अपने छोटे कमरे में मशरूम उगा सकते हैं. इसके लिए कमरे में रैक बनाना होगा जिसमें मशरूम उगाया जाता है. मशरूम की खेती सर्दी और गमियों में की जा सकती है.
मशरूम की अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें खाने वाले मशरूम को सफेद मशरूम कहा जाता है. इसकी दुनिया भर में 30 फीसदी खपत है. सीटेक मशरूम की खपत 17 प्रतिशत है. सीप मशरूम की खपत 27 प्रतिशत है. मशरूम का उपयोग आहार के साथ दवा के तौर पर किया जात है. यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, स्तन और प्रोस्टेट कैंसर से बचाव करता है. मधुमेह रोगियों के लिए काफी फायदेमंद है. शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और बीमारियों से लड़ने में मदद करता है. मशरूम में विटामिन बी-1, बी-2, बी-9, बी-12, विटामिन सी, डी की मात्रा भरपूर पाई जाती है.(प्रवीण कुमार की रिपोर्ट)
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