
FPO STORY: सहारनपुर के युवा अंकुर शर्मा ने मुंबई नौकरी छोड़कर Farmer Producer organizations यानी FPO के जरिए मिलेट का बिजनेस शुरू किया. आज वह 6 महीने में 35 लाख रुपये कमाई कर रहे हैं. अंकुर MBA हैं. एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर उन्होंने गंगोह 'Gangoh Farmer Producer Company Ltd' की शुरुआत की थी. वह 'स्वस्ति' ब्रांड के तहत मिलेट से बने नाश्ते के मिश्रण, फ्लेक्स मशरूम की कुकीज, रागी के चिप्स आदि बनाकर बेच रहे है. आइए, आज हम अंकुर शर्मा की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं.
इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में सहारनपुर से चलने वाले गंगोह रहने वाले अंकुर शर्मा ने बताया कि 14 मार्च 2023 में एफपीओ का गठन किया था. लेकिन काम 6 महीने पहले ही शुरू हुआ. अभी 550 किसान और 15% महिलाएं एफपीओ से जुड़ी हुई है. कुछ किसान मशरूम और शहद के व्यावसाय से जुड़े हुए है. क्योंकि हम पहले से ही मशरूम का कारोबार कर रहे है. उन्होंने बताया कि अभी हम लोग तीन प्रोडक्ट पर काम कर रहे है, जैसे मशरूम, शहद और मिलेट. अंकुर बताते हैं कि शहर हम लोग किसानों से खरीदकर उसकी प्रोसेसिंग करके ब्रांडिंग करते हैं. इनका कहना है कि 6 महीने में इनके एफपीओ को 30-35 लाख रुपये का मुनाफा हो रहा है. जिसका फायदा किसानों और महिलाओं को हो रहा है.
उन्होंने कहा कि पैकेजिंग से लेकर ब्रांडिंग तक हम लोग खुद करते है. वहीं प्रोडक्ट को बेचने के लिए ऑनलाइन मार्केट समेत एग्जीबिशन के जरिए प्रचार प्रसार कर रहे है. वहीं दिल्ली में हमारे दो वेंडर है. हम लोगों को मार्केट से अच्छा रिटर्न मिल रहा है. अब धीरे-धीरे मार्केट में तेजी आ रही हैं.
बचपन से ही मेरा रुझान उद्यमिता की ओर था. अंकुर शर्मा ने बताया कि 15 साल तक मुंबई की एक कंपनी में नौकरी करने के बाद कोरोना की महामारी के कारण घर आ गए. घर आने के बाद मशरूम का व्यावसाय शुरू किया. जहां हमको अच्छी सफलता मिली.
उसके बाद मेरे मन में स्टार्टअप का आइडिया आया. FPO बनाकर मशरूम की कुकीज, रागी के चिप्स, शहद आदि बनाकर बेच रहे हैं. उनका कहना है कि 6 महीने में इनके एफपीओ को 30-35 लाख रुपये की कमाई हो गई, जिसका सीधा फायदा किसानों और महिलाओं को हो रहा है. बीते कुछ दिनों पहले दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी अंकुर शर्मा के स्टार्टअप की सराहना कर चुके हैं.
इस तरह देखा जाए तो अंकुर ने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है जिसमें मौजूदा संसाधनों के उपयोग से वो हर साल लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. ये उन युवाओं के लिए एक मिसाल है जो अपने खेत खलिहान छोड़कर बड़े शहरों में नौकरी के लिए जद्दोजहद करते हैं.
FPO बनाने का एक तरीका ये भी है कि Enam.gov.in पर आप ऑनलाइन रजिस्टर करें. संगठन के गठन का खर्च सरकार की ओर से वहन किया जाता है. इतना ही नहीं, तीन साल के लिए FPO को सरकार की ओर से दो कर्मचारी दिए जाते हैं. इनमें एक अकाउंटेंट होता है, जो कंपनी के आय-व्यय का लेखा-जोखा रखता है. दूसरा CEO होता है, जो कंपनी को चलाने की जिम्मेदारी संभालता है. इन दोनों कर्चारियों की सैलरी सरकार की ओर से दी जाती है. यानी किसानों के संगठन का इसमें एक पैसा भी खर्च नहीं होता.
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