ऐसा माना जाता है कि सेब की खेती केवल ठंडे प्रदेशों में ही संभव है. लेकिन अब यह बात गलत साबित हो रही है. ऐसे ही सच को साबित किया है बिहार के कटिहार जिले के कोढ़ा प्रखंड के एक कंप्यूटर इंजीनियर ने. इन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर खेती शुरू की है. किसान बिहार जैसे सामान्य तापमान वाले क्षेत्र में सेब की खेती कर रहे हैं. उनके खेतों में सेब का फलन भी काफी अच्छा हुआ है. सेब टूट कर अब बाजार भी जाने लगा है. वहीं इस साल सेब की बेहतर कीमत और मांग होने की वजह से इंजीनियर किसान को बेहतर मुनाफा होने का अनुमान है.
इंजीनियर किसान प्रशांत कुमार चौधरी ने अपने गांव में सेब की खेती शुरू कर एक मिसाल कायम की है. उन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर सेब की खेती शुरू की और आज इससे अच्छी कमाई कर रहे हैं.
किसान प्रशांत पारंपरिक कृषि को छोड़कर अपनी जमीन में बागवानी कर रहे हैं और उनकी मेहनत रंग ला रही है. किसान प्रशांत ने बागवानी में सिर्फ सेब की ही खेती नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के फलों को भी लगाया है. प्रशांत ऑर्गेनिक खेती के साथ बागवानी फसलों के सहारे भी बेहतर आमदनी कमा रहे हैं. शिक्षित किसान की बागवानी की चर्चा आसपास के गांव में भी होने लगी है. आधुनिक और विविधता भरी उनकी खेती को देख कृषि वैज्ञानिक भी उनकी प्रशंसा कर रहे हैं. वहीं आसपास के गांव के लोग उनकी बागवानी को देखने के लिए पहुंच रहे हैं.
एमआईटी डिग्री प्राप्त प्रशांत कुमार चौधरी दिल्ली में कंप्यूटर इंजीनियर की नौकरी करते थे. बाद में नौकरी छोड़कर वे अपने गांव लौटे और किसानी को अपनी कमाई का जरिया बनाया और खेती करने लगे, किसान प्रशांत बताते हैं कि उन्हें बागवानी करने का शौक बचपन से ही था मगर एमआईटी की डिग्री लेने के बाद वे दिल्ली में कंप्यूटर इंजीनियरिंग की नौकरी करने लगे. फिर वे नौकरी छोड़ कर अपने गांव लौट आए और गांव में ही अपनी 15 एकड़ जमीन में बागवानी करने लगे. उनके बाग में कई प्रकार के फलों के अलावा चंदन का पेड़, महोगनी, आगारुड के पेड़ भी हैं. किसान ने बताया कि अब लोग कश्मीरी और शिमला के बाद ठेठ बिहारी सेब के स्वाद का भी मजा लेंगे.
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किसान प्रशांत कुमार चौधरी ने बताया कि फल जैसे ही पककर तैयार हुआ उसके बाद सीमांचल के विभिन्न बाजार में भी जाने लगा है. फल का स्वाद भी काफी अच्छा है. उनकी बागवानी में सेब के विभिन्न किस्म के पौधे हैं जिसमें अन्ना, डोरसेट, गोल्डन, हरिमन 99 शामिल हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने बागवानी में सेब के पौधे दिसंबर और जनवरी में लगाए थे और मई जून में इनमें फल आ गए हैं.
प्रशांत कुमार चौधरी सेब की खेती के बारे में लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं और उनको इस क्षेत्र से संबंधित प्रशिक्षण भी दे रहे हैं ताकि अपने क्षेत्र के किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि उनके बागान में सेब के साथ-साथ नींबू, पपीता, संतरा, काली मिर्च, काली हल्दी, इलायची, कॉफी, मियाजाकी आम, जापानी लीची, लॉन्ग, इंडियन चंदन और दुनिया के सबसे महंगे लकड़ी माने जाने वाले आगारुड, महोगनी आदि लगे हुए हैं. उन्होंने बताया कि बेरोजगारी और रोजगार की समस्या के बीच ही युवाओं में किसानी का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है. वे खासकर युवाओं को सेब की खेती करने के लिए जागरूक कर रहे हैं ताकि यहां बेरोजगार युवक किसानी के सहारे बेहतर आमदनी कमा सकें.
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