Women Farmers Success Story: यदि जूनून और जज्बा हो तो कोई भी काम आसानी से हो जाता है. व्यवसाय में सफलता के लिए जरूरी नहीं है कि आपके पास बड़ी डिग्री हो. आपके हौसले बड़े हो तो तो सफलता हासिल की जा सकती है. आज कुछ ऐसी ही महिलाओं के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने पुरुष प्रधान कृषि क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई हैं. राजधानी लखनऊ के चार ऐसे महिला किसानों की कहानी बताने जा रहे है, जिन्होंने एक लाख रुपये का कर्ज लेकर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग (Contract Farming) की शुरुआत चार साल पहले की थी. आज इन महिलाओं की सालाना कमाई लाखों में पहुंच गई है. बदलते समय के साथ छोटी जोत के किसानों की संख्या बढ़ रहीं है, वहीं पर एक ऐसी भी महिला किसान है, जो लीज पर 15 बीघा जमीन लेकर आलू की खेती कर दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बन रहीं हैं.
राजधानी लखनऊ के माल रोड स्थित मंझी निकरोजपुर गांव की रहने वाली मालती, पुष्पा, रीना और आरती ने खेती-किसानी और पशुपालन के व्यावसाय से जुड़कर अपने जिले में अलग पहचना बना रही है. किसान तक से खास बातचीत में मालती ने बताया कि चार साल पहले एक निजी सहायता समूह से एक लाख रुपये कर्ज लेकर 15 बीधा खेत में आलू की खेती शुरू की थी. जिससे उनको सालाना 5-6 लाख रुपये की आय हुई थी. उन्होंने बताया कि 1.5 लाख रुपये की लागत आलू की पैदावार में आई थी. सफल किसान मालती बताती हैं कि हम लोग कुल 4 महिलाएं है, जिनके नाम पुष्पा, रीना और आरती हैं. हम सभी लोग मिलकर आलू की खेती के साथ मुर्गी पालन का व्यासाय भी कर रहे है. मुर्गी पालन में 2 लाख रुपये की आय हो जाती है. इस साल अधिक सर्दी पड़ने के कारण हम लोगों ने मुर्गी पालन नहीं किया, लेकिन मार्च में फिर से इसकी शुरुआत करेंगे. मालती ने आगे बताया कि हमारा अपना कोई खेत नहीं है, इसलिए हम लोग खेत लीज पर लेकर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करते है.
आपको बता दें कि ये चारों महिला किसान सीसीएल और सीआईएफ से जुड़ी हुई हैं. बीते 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने मालती समेत चारों महिला किसानों को सम्मानित भी किया था. प्रगतिशील महिला किसान ने बताया कि आने वाले समय में हम लोग डेयरी सेक्टर में काम करने का विचार कर रहे है. जिससे हम लोगों के सालाना टर्नओवर में बढ़ोतरी हो सके. मालती ने बताया कि FPO में हम लोगों ने अभी पंजीकरण नहीं कराया है, लेकिन बहुत जल्दी हम लोग इससे जुड़ जाएंगे. मालती ने बताया कि अपने काम में नुकसान होने पर भी हिम्मत नहीं हारी. दूरगामी सोच के साथ कारोबार को आगे बढ़ाया और अपने परिवार का सहारा बनी. कहते हैं न कोशिश करने वालों की हार नहीं होती. ठीक वैसे ही मालती समेत इन चारों महिलाओं की मेहनत भी रंग लाई.
जैसा कि नाम से ही साफ है, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत कृषि योग्य जमीन इस्तेमाल करने का अनुबंध होता है. इसमें सरकार और बड़े किसान अपनी जमीन को पट्टे पर या कांट्रेक्ट पर दूसरे किसानों को खेती करने के लिये देती हैं. इस अनुबंध में जमीन के मालिक, सरकार, बड़े किसान और कृषिरत कंपनियां ही कांट्रेक्टर के रूप में काम करती हैं. इस अनुबंध के तहत खेती करने वाले किसान को अपनी उपज कांट्रेक्टर के हिसाब से ही बेचनी पड़ती है. इतना ही नहीं, इस अनुबंध में फसल के दाम पहले से ही तय कर लिये जाते हैं. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत खेती करने वाले किसान को बीज, सिंचाई और मजदूरी आदि का खर्च नहीं उठाना पड़ता. खेती की लागत और उसकी तकनीक की जिम्मेदारी भी कांट्रेक्टर की ही होती है.
ये भी पढे़ं-
UP Weather Today: लखनऊ में खिली धूप, वैलेंटाइन डे पर फिर मौसम लेगा करवट, जानें IMD की भविष्यवाणी
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today