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किसान ने लाइन स्विंग विधि से बोई अरहर की उन्नत किस्म, बंपर उपज देखकर दूसरे किसान और ग्रामीण मांगने लगे बीज

किसान ने लाइन स्विंग विधि से बोई अरहर की उन्नत किस्म, बंपर उपज देखकर दूसरे किसान और ग्रामीण मांगने लगे बीज

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान देशभर में किसानों की उन्नति के लिए उन्नत प्रजाति के बीज फार्मर फर्स्ट प्रोग्राम के तहत उपलब्ध करा रहा है और बुवाई समेत पूरी विधि की ट्रेनिंग भी दे रहा है. उत्तर प्रदेश के फतेहपुर निवासी किसान ने उन्नत प्रजाति की अरहर फसल की बंपर उपज हासिल की है, जिसके बाद उससे बीज लेने वालों की भीड़ बढ़ गई है.

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उत्तर प्रदेश के फतेहपुर निवासी किसान ने उन्नत प्रजाति की अरहर फसल की बंपर उपज हासिल की है. उत्तर प्रदेश के फतेहपुर निवासी किसान ने उन्नत प्रजाति की अरहर फसल की बंपर उपज हासिल की है.

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर निवासी किसान ने उन्नत प्रजाति की अरहर फसल की बंपर उपज हासिल की है, जिसके बाद उससे बीज लेने वालों की भीड़ बढ़ गई है. किसान ने सभी को बीज उपलब्ध कराने की बात भी कही है. दरअसल, फतेहपुर के प्रगतिशील किसान ने भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर से फार्मर फर्स्ट परियोजना के तहत अरहर की उन्नत प्रजाति का बीज लेकर बुवाई की थी. ढेर सारी फलियों से लदा मोटे तने वाले पौधों की वजह से उसे बंपर उपज हासिल हुई है. 

अरहर की उन्नत बीज की खेती 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान देशभर में किसानों की उन्नति के लिए उन्नत प्रजाति के बीज फार्मर फर्स्ट प्रोग्राम के तहत उपलब्ध करा रहा है और बुवाई समेत पूरी विधि की ट्रेनिंग भी दे रहा है. इसी कड़ी में भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर ने फार्मर फर्स्ट परियोजना के तहत जिला फतेहपुर के ग्राम खदरा ब्लॉक दमाई निवासी रणवीर सिंह को अरहर की उन्नत प्रजाति आईपीए 203 के उत्पादन के लिए बीज दिए थे. बुवाई के बाद लहलहाती फसल देखकर रणवीर के पास दूसरे किसान पहुंच रहे हैं और उनसे बीज की मांग कर रहे हैं.

लाइन स्विंग तकनीक से बुवाई 

प्रगतिशील किसान रणवीर सिंह ने कहा कि यह अरहर की जो प्रजाति हमने लगाई है यह आईपीए 203 है. उन्होंने कहा कि यह हमें फार्मर फर्स्ट परियोजना के तहत भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर से मिली थी. हमारी बुआई की तकनीक अलग है और हमने लाइन स्विंग तकनीक का इस्तेमाल किया है. इस तकनीक के तहत बीज की बुवाई एक लाइन में और समुचित दूरी पर की जाती है, जिससे पौधों की मोटाई और फलियों की अधिकता बढ़ी है. फलियों का रंग भी साफ हुआ है और निगरानी में आसानी होती है. 

छिटकवां विधि से खेती मुश्किल 

रणवीर सिंह ने कहा कि परीक्षण के रूप में उन्होंने पहले छिटकवां विधि से बुवाई की थी, जिसके चलते ये देखने को मिला कि दवा डालने में बहुत असुविधा होती है. पेड़ झाड़नुमा हो जाते हैं इससे उसके अंदर घुस के निगरानी भी नहीं कर सकते और उसमें दवा डालने में भी असुविधा होती है और पेड़ पास-पास होने से उनके तने भी नहीं मोटे और फैलाव भी नहीं और फ़लियों की संख्या भी कम है. 

किसान और ग्रामीण बीज मांग रहे 

प्रगतिशील किसान ने कहा कि अरहर की उन्नत प्रजाति आईपीए 203 की विशेषता यह है कि इसका पौधा मोटा होता है और इसकी शाखाएं अधिक रहती हैं. इसके साथ ही इसमें दाने अधिक होते हैं और फलियां भी अधिक आती हैं. उन्होंने कहा कि फलियों में 3-4 दाने मौजूद हैं और इसके दानों का रंग भी बहुत अच्छा है. आइपीए 203 की उपज देखकर हमारे ग्राम के किसान बहुत उत्साहित हैं और बीज की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम किसानों और ग्रामीणों को बीज देंगे.

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