खेती में सफलता की यह कहानी बिहार के समस्तीपुर जिले के संजय कुमार की है. संजय कुमार बताते हैं कि पहले वे धान और गेहूं जैसी परंपरागत फसलों की खेती करते थे जिससे उन्हें नुकसान होता था. यानी जितनी लागत होती थी, उतना भी बहुत मुश्किल से निकल पाता था. मेहनत भी बहुत अधिक होती थी. बाद में वे इससे तंग आकर बागवानी फसलों की खेती शुरू की और आज उन्हें कमाई की कोई कमी नहीं रह गई है. उनकी इस सफलता के लिए बिहार सरकार ने सम्मानित भी किया है.
किसान संजय कुमार समस्तीपुर जिले के ताजपुर प्रखंड स्थित ग्राम कोठिया के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि पहले वे 20 एकड़ की भूमि पर धान और गेहूं की पारंपरिक खेती करते थे, जिससे उन्हें अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा था. इसलिए उन्होंने बागवानी की ओर रुख करते हुए केला, नींबू, पपीता, बेर, बेल, अमरूद और सब्जियों की खेती को अपनाया है, जिससे उनकी आमदनी में खास वृद्धि हुई है.
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किसान संजय कुमार को आत्मा के जरिये राज्य से बाहर विशेष ट्रेनिंग भी दी गई, जिससे उन्होंने उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाने में सफलता हासिल की. साथ ही, उन्हें ड्रिप सिंचाई प्रणाली का भी लाभ मिला है, जिससे पानी बचाने के साथ-साथ उनकी फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने बताया कि पारंपरिक खेती की तुलना में व्यावसायिक और तकनीकी खेती अधिक फायदेमंद साबित हो रही है. नई कृषि पद्धतियों के इस्तेमाल से उनकी फसलों की पैदावार में वृद्धि हुई, जिससे उन्हें अधिक मुनाफा मिल रहा है.
संजय कुमार की इस खेती के मॉडल और कामयाबी को देखते हुए बिहार सरकार ने उन्हें सम्मानित किया है. कृषि विभाग, बिहार के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने सोमवार को मीठापुर स्थित कृषि भवन में समस्तीपुर जिले के प्रगतिशील किसान संजय कुमार को सम्मानित किया. इस अवसर पर किसान संजय कुमार ने अपनी खेती से जुड़े अनुभव और पारंपरिक कृषि से हट कर बागवानी को अपनाने से हुई आमदनी में वृद्धि की जानकारी साझा की.
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सचिव संजय अग्रवाल ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि राज्य सरकार किसानों की आय बढ़ाने और खेती को लाभकारी बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक पद्धतियों और आधुनिक तकनीकों को अपनाकर किसान उत्पादन में बढ़ोतरी कर रहे हैं. बिहार सरकार किसानों को बागवानी की खेती में दिलचस्वी बढ़ाने के लिए किसानों के लिए कई योजनाएं जैसे-क्लस्टर आधारित बागवानी की योजना, छत पर बागवानी योजना, स्ट्रॉबेरी विकास योजना और फल विकास योजना (टिशू कल्चर केले और लीची की खेती) आदि चलाई जा रही है.
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