Barabanki Farmer Story: बाराबंकी की तहसील रामनगर के बेरिया ग्राम गांव के निवासी संदीप वर्मा को गांव ही नहीं पूरे जिले में एक हाईटेक किसान के रूप में जाना जाता है. सफल किसान संदीप पढ़ाई में अच्छे थे इसीलिए उन्होंने बीटेक किया. उसके बाद कुछ दिनों तक अलग-अलग कंपनियों में नौकरी भी की, लेकिन नौकरी उनको रास नहीं आई और वह घर आकर खेती करने लगे. आज वह उत्तर प्रदेश सरकार के उद्यान विभाग से बागबानी मिशन के तहत मिले अनुदान से पॉली हाउस लगाकर जरबेरा फूलों की खेती कर रहे हैं और साल में 25 लाख का सीधा मुनाफा कमा रहे हैं.
बीते दिनों उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश के निदेशक डॉ विजय बहादुर द्विवेदी जनपद बाराबंकी के भ्रमण पर आये. उन्होंने जिला उद्यान अधिकारी, बाराबंकी महेश कुमार श्रीवास्तव और योजना प्रभारी गणेश चंद्र मिश्रा के साथ रामनगर ब्लॉक के बेरिया ग्राम में एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना अंतर्गत स्थापित पॉली हाउस का निरीक्षण किया. निदेशक उद्यान द्वारा लाभार्थी किसान संदीप वर्मा से उनके द्वारा पॉली हाउस में की जा रही जरबेरा फूलों की खेती के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की गई.
प्रगतिशील किसान संदीप वर्मा ने बताया कि वह साल 2015 से पॉलीहाउस में फूलों की खेती से जुड़े हुए हैं और लगभग 20 से 25 लाख रुपए इस विपरीत मौसम में भी लाभ प्राप्त कर रहे हैं.
वर्तमान में जरबेरा फूलों की एक स्टिक की कीमत 3 से 3.30 रुपए लखनऊ की मंडी में आसानी से मिल जा रही है. जबकि यही जाड़े के मौसम जनवरी-फरवरी में और सहालग के मौसम में 8 से लेकर 11 रुपए तक में बिक्री हो जाती है.
एक एकड़ (4000 वर्गमीटर) में पॉली हाउस लगाने में करीब 60 लाख रुपए लगते हैं जिसमें से 50% कुल 29 लाख रुपए उद्यान विभाग से अनुदान के रूप में प्राप्त हो जाता है. इस प्रकार अनुदान पर फूलों की अच्छी खेती करके किसान अपना आर्थिक व सामाजिक स्तर बढ़ा सकते हैं. संदीप ने बताया कि उन्हें पॉली हाउस लगाने की प्रेरणा जनपद बाराबंकी में पॉली हाउस के जनक ब्लॉक देवा के किसान मोइनुद्दीन से मिला जिनके यहां उन्होंने जाकर पहले देखा और प्रेरित हुए. उन्होंने उद्यान विभाग से संपर्क किया.
पहला पाॅली हाउस साल 2015 लगाकर उसमें जरबेरा की खेती करना शुरू किया. आज उनके पास 6 पाॅलीहाउस हैं. उनकी देखा-देखी पड़ोस के गांव में भी दो पाॅलीहाउस और पिछले साल लगे हैं. उन्हें बिक्री की कोई समस्या नहीं है, लखनऊ की मंडी में फूलों की मांग है जिसकी पूर्ति यहां से की जाती है. संदीप ने बताया कि इस समय जरबेरा फूलों की खेती से उनका और उनके परिवार का सालाना 75 लाख रुपये का टर्नओवर है. जिसमें से लागत निकालने के बाद करीब 25 लाख का सीधा मुनाफा मिल जाता है.
उद्यान विभाग के निदेशक डॉ विजय बहादुर द्विवेदी ने संदीप की बहुत तारीफ की उनकी मेहनत लगन को देखते हुए उन्होंने जनपद के अन्य किसानों से भी अपेक्षा की. उन्होंने कि यहां के किसानों के द्वारा की जा रही प्रगतिशील खेती चाहे वह केला हो,मशरुम हो या स्ट्राबेरी व ड्रैगन फ्रूट की, ज्यादा से ज्यादा उसे अपनायें. यहां के किसान जनपद का नाम प्रदेश और देश में रोशन कर रहे हैं.
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today