खेती में सफलता की यह कहानी इंजीनियर सुब्रत कुमार नाथ की है. वे ओडिशा में संबलपुर जिले के बुधराजा के रहने वाले हैं. सुब्रत कुमार बहुराष्ट्रीय कंपनी कुशमैन एंड वेकफील्ड (सीएंडडब्ल्यू) में काम करते हैं. सुब्रत कुमार ने अपने घर पर एक अनोखा ‘मिनी फॉरेस्ट’ बनाकर बड़ी सुर्खियां बटोरी हैं. उनके घर में लगे मिनी फॉरेस्ट में ऐसे कई फूल, कई पत्तियां और पौधे लगे हैं जो 'रेयर' किस्मों के हैं. अपने घर में उन्होंने 1,000 पंखुड़ियों और तेज़ खुशबू के लिए मशहूर कमल भी उगाया है जिसका जिक्र प्राचीन पुराणों में भी मिलता है.
नाथ के बारे में बताते हैं कि उनका प्रकृति से जुड़ाव बचपन से ही शुरू हो गया था. मात्र 12 वर्ष की आयु में ही वे बागवानी में पूरी तरह से डूब गए थे. हीराकुंड में अपने पिता के आधिकारिक निवास के किचन गार्डन में गेंदा, गुड़हल और सब्ज़ियां उगाते थे. उनके पिता, सुरेंद्र मोहन नाथ, औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (IDCOL) में काम करते थे और बुधराजा में अपने पैतृक घर लौटने से पहले एक सुरक्षा अधिकारी के रूप में रिटायर हुए थे.
शुरुआती दौर से ही पौधों के प्रति नाथ का जुनून बहुत अधिक था जो बाद में पूरी तरह से समर्पण में बदल गया. 2008 में भुवनेश्वर में ईस्टर्न एकेडमी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकॉम में अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद, उन्होंने अपने पेड़-पौधों के प्रति दिलचस्पी को आगे बढ़ाना जारी रखा. हालांकि नाथ अपना ज़्यादातर समय अपने पौधों की देखभाल में लगाते हैं, लेकिन वे उनका कमर्शियल इस्तेमाल नहीं करते. इसके बजाय, वे कभी-कभी असली पौधों के शौकीनों को वाटर लिली और कमल के कंद बेचते हैं.
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नाथ का काम धीरे-धीरे बढ़ता गया और साथ में सुर्खियां भी बढ़ती गईं. 2020 में, नाथ को बागवानी में उनके योगदान के लिए राज्य सरकार की ओर से ‘प्रकृति बंधु’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था. भुवनेश्वर से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित नंदनकानन में हाइड्रोफाइट गार्डन में बड़े स्तर पर बदलाव में उनकी विशेषज्ञता महत्वपूर्ण थी. नाथ ने 10 से 12 वैरायटी के वाटर लिली और कमल उगाए, जिससे उनके घर के मिनी फॉरेस्ट में में चार चांद लग गए. इतना ही नहीं, सुब्रत नाथ को पक्षियों से बहुत प्यार है, जिसके लिए उन्होंने अपने घर में उन उड़ने वाले पक्षियों के भोजन और आश्रय के लिए अलग-अलग व्यवस्थाएं की हैं. वह अपने शौक के लिए वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी भी करते हैं.
सुब्रत नाथ बताते हैं, इंजीनियरिंग ही मेरी रोजी-रोटी है. बागवानी मेरा जुनून है, इसी वजह से मैं सुबह जल्दी उठकर इनकी देखभाल करता हूं और ऑफिस से लौटने के बाद भी यही करता हूं. बचपन से ही मुझे अपने माता-पिता से प्रेरणा मिलती रही है. मैं शुरुआती दिनों में फोटोग्राफी करता था, जब मुझे आत्मविश्वास मिला तो मैंने वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी शुरू कर दी."
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सुब्रत नाथ अपने प्रोफेशन और पैशन को लेकर इतने प्रतिबद्ध हैं कि उनके हर काम में इसकी छाप दिखती है. चाहे वह फूल-पत्तियों को उगाना हो या घर में फूलों की बागवानी करनी हो. इसमें वे टेक्निकल एक्सपर्टीज की भी मदद लेते हैं. प्रकृति के प्रति उनका अगाध प्रेम इसे और मजबूती देता है. बुधराजा में उनकी बगिया इसी बात की ओर इशारा करती है.(अजय नाथ की रिपोर्ट)
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