देश में कृषि के क्षेत्र में सिर्फ पुरुष ही नहीं महिलाएं भी आगे आ रही हैं और खेती करके आगे बढ़ रही हैं. जिनके पास अधिक पूंजी है वो स्टार्टअप के तौर पर इसे शुरू करते हैं और जिनके पास पूंजी कम होती है, वे अपने खेत में खुद काम करके आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं. पर इनमें एक खासियत यह होती है कि जो लोग पढ़े लिखे होते हैं, उनकी पढ़ाई का फायदा उनके खेतों को भी होता है. वे नए प्रयोग करते हैं और इससे उन्हें कमाई होती है. बिहार के जमुई जिले की रहने वाली एक महिला किसान सीमा भी उन्हीं किसानों में शामिल हैं जिन्होंने पढ़ाई करने के बाद खेती को चुना.
सीमा एक ऐसी महिला हैं जो किसान बनकर खुश हैं. हालांकि वो पढ़ लिख कर सरकारी नौकरी करना चाहती थीं पर जब नौकरी नहीं मिली तब वो निराश नहीं हुईं. वे कहती हैं कि उन्हें इस बात का मलाल नहीं है कि पढ़ाई करने के बाद भी सरकारी नौकरी नहीं लग पाई. उन्हें अब ज्यादा खुशी किसान कहलाने में होती है. उन्होंने कहा कि लंबाई कम होने के कारण बिहार पुलिस के लिए उनका चयन नहीं हो पाया. पर उनकी शिक्षा खेती में काम आ रही है और खेतों में अपने अनूठे प्रयोग करने के लिए इलाके में उनकी खूब चर्चा होती है. सीमा एक ग्रेजुएट किसान दीदी हैं. पूरे जमुई जिले भर में उनकी चर्चा होती है.
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2010 में अपने गांव से इंटर पास करने के बाद गरीबी की वजह से सीमा की आगे की पढ़ाई रुक गई. लेकिन किसी तरह शादी के बाद 2020 में जमुई के श्यामा प्रसाद सिंह महिला महाविध्यालय से इतिहास (प्रतिष्ठा) में स्नातक की डिग्री हासिल की. स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद वो अपने बच्चों के साथ ससुराल में रहने लगीं. पति चंदन मंडल जयपुर में रहकर मजदूरी का काम करते. पूरा घर उनके पैसे से ही चलता था. लेकिन आज सीमा के पति उनके साथ गांव में रहते हैं और खेतों में साथ में काम करते हैं.
सीमा बताती हैं कि एक बार वे गर्मियों के मौसम में बंगाल गई थीं जहां उन्होंने गरमा धान की खेती होते हुए देखा. इसके बाद उनके मन भी गरमा धान की खेती करने का खयाल आया. तब सीमा ने खेती करने का मन बनाया और अपने पति को भी जयपुर से वापस बुला लिया. सीमा बताती हैं कि दोनों ने मिलकर पहली बार चार कट्ठा जमीन में प्रयोग के तौर गरमा धान की खेती की जो काफी सफल रहीं. इससे उन्हें अच्छा मुनाफा भी हुआ है. अब वे दोनों इससे बड़े जगह में गरमा धान की खेती करने की तैयारी कर रहे हैं.
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यह सीमा के अनूठे प्रयोग का ही परिणाम है जब लोग धान की रोपाई खत्म कर रहे हैं, सीमा अपने खेतों में धान की कटाई करने में जुटी हुई हैं. सीमा ने उन्नत तकनीक से खेती के जरिए ना सिर्फ अपने जीवन में सुधार लाने का काम किया है बल्कि अपने पति को भी पलायन से छुटकारा दिलाया है. सीमा बताती हैं कि उनके पास छोटी जोत की जमीन है लेकिन वो एक साल में तीन फसल हासिल कर लेते हैं. इससे उन्हें सालाना लगभग दो लाख रुपये की कमाई हो जाती है. इस तरह सीमा खेती के जरिए अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकाल रही हैं.
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