Success Story: 'सीनियर सिटीजन' ने नए प्रयोगों से बदली तकदीर, कर रहे हैं अच्छी कमाई

Success Story: 'सीनियर सिटीजन' ने नए प्रयोगों से बदली तकदीर, कर रहे हैं अच्छी कमाई

पटना जिले के रहने वाले 65 वर्षीय नरेंद्र प्रसाद आधुनिक तकनीक की मदद से खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं. समेकित कृषि प्रणाली के तहत कम जगह में मछली पालन और पोल्ट्री, पशुपालन सहित फलों और सब्जियों की खेती करते हैं.

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Success Story: 'सीनियर सिटीजन' ने नए प्रयोगों से बदली तकदीर, कर रहे हैं अच्छी कमाई 65 वर्षीय नरेंद्र प्रसाद चार सालों से मछली पालन कर रहे हैं. फोटो-किसान तक

उम्र कितनी भी हो, सोच नई होनी चाहिए. सोच नई हो, तो आप 65 साल के भी हों, तो भी प्रयोगों से पीछे नहीं हटते. इस सोच ने बिहार ने नरेंद्र प्रसाद को कामयाबी दी है, जो 65 साल के हैं. नरेंद्र प्रसाद खेती में नए प्रयोग करने से पीछे नहीं हटते है. उनकी इसी सोच का परिणाम है कि वे समेकित कृषि प्रणाली तकनीक का उपयोग करके  केवल मछली पालन से एक सीजन में दस लाख से अधिक की कमाई कर रहे हैं. इसके साथ ही वे पोल्ट्री, पशुपालन सहित खेती से भी अच्छी कमाई कर रहे हैं. जिन खेतों में धान, दलहन की खेती से चार से पांच लाख तक की कमाई करना बहुत बड़ा चैलेंज था. उस जमीन में कृषि विज्ञान केंद्र बाढ़ पटना के वैज्ञानिकों की देखरेख में मछली पालन सहित पोल्ट्री और पशुपालन से जीवन की गाड़ी के आर्थिक पक्ष को मजबूत करते हुए आगे बढ़ा रहे हैं. 

बिहार की राजधानी पटना से करीब 100 किलोमीटर दूर और कृषि विज्ञान केंद्र बाढ़ से करीब 20 किलोमीटर दूर चकजलाल गांव के रहने वाले नरेंद्र प्रसाद परंपरागत खेती के साथ मछली पालन कर रहे हैं. लेकिन प्रसाद को चार साल पहले मत्स्य पालन या समेकित कृषि प्रणाली के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. हर वक्त कुछ नया सीखने की जुनून ने इन्हें आज जिले का सफल मत्स्य पालक बना दिया है.

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परंपरागत खेती में नहीं दिखी कमाई तो शुरू किया मछली पालन

किसान तक से बात करते हुए 65 वर्षीय नरेंद्र प्रसाद कहते हैं कि वह एक हेक्टेयर जमीन में दो तालाब की मदद से मछली पालन करते हैं. इससे सालाना पच्चीस लाख तक की कमाई करते हैं. वहीं सभी खर्च काटकर करीब दस लाख से अधिक का मुनाफा हो जाता है. लेकिन आज से चार साल पहले इतनी जमीन में वे परंपरागत तरीके से मौसमी फसलों की खेती करते थे. मगर उससे कमाई दूर की बात थी. खेती का खर्च निकालना बहुत बड़ी बात थी. जिसके बाद वे कृषि विज्ञान केंद्र बाढ़ के वैज्ञानिकों से संपर्क करके मछली पालन करने का निर्णय किया. उसके साथ ही बत्तख, देसी मुर्गी पालन, तालाब के किनारे फलों, सब्जी की खेती सहित पशुपालन के व्यवसाय में कदम रखा. नरेंद्र प्रसाद समेकित कृषि प्रणाली के तकनीक को अपनाते हुए अन्य किसानों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं. वह कहते हैं कि मन के हारे हार है और मन के जीते जीत. अगर मन में आपने कुछ अलग करने की ठान लिए हैं तो आपको सफल होने से कोई भी रोक नहीं सकता है. 

नरेंद्र प्रसाद ने एक हेक्टेयर जमीन में दो तालाब की मदद से मछली पालन कर रहे हैं. फोटो-किसान तक
नरेंद्र प्रसाद ने एक हेक्टेयर जमीन में दो तालाब की मदद से मछली पालन कर रहे हैं. फोटो-किसान तक

खेती में बेहतर कमाई का विकल्प है समेकित कृषि प्रणाली

सफल किसान नरेंद्र कहते हैं कि आज खेती में जब तक बदलाव नहीं होगा, तब तक किसान अच्छा मुनाफा नहीं कमा सकता. वे कहते हैं कि किसानों को अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारना है तो वे समेकित कृषि प्रणाली के तहत मछली पालन और पोल्ट्री व्यवसाय से कम जमीन में अधिक कमाई कर सकते हैं. कभी अपनी इसी जमीन पर धान और दलहन की खेती करते थे. लेकिन आज उतनी ही जमीन पर मछली, पोल्ट्री और दूध का कारोबार है. इसके साथ ही तालाब के किनारे केला, आम, सहित सब्जी की खेती भी है. जिससे अपनी जरूरत तो पूरी होती ही है. इसके साथ ही पांच से दस हजार रुपए के फल, सब्ज़ी भी आसानी से बिक जाते हैं. आज के समय में यह तकनीक कम जगह में अधिक उत्पादन के लिए बेहतर विकल्प है. 

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कई तरह के मछलियों का करते हैं उत्पादन

नरेंद्र अपने तालाब में जासर, कतला, रोहू, नैनी सहित अन्य मछली का उत्पादन करते है. इनके तालाब से सालाना करीब पच्चीस टन से अधिक मछली का उत्पादन होता है. पिछले साल बीस टन जासर मछली का उत्पादन हुआ था. इसे 120 से 130 रुपए प्रति किलो भाव से बेचा था. नरेंद्र अब भी रुकना नहीं चाहते. वह चाहते हैं कि लगातार इसे और बेहतर किया जाए. यानी सीनियर सिटीजन का जोश पूरी तरह बरकरार है. 

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