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छोटी जोत वाले किसानों के लिए वरदान बनीं 'सोलर दीदियां', सि‍ंचाई-कमाई दोनों में हो रहा फायदा

छोटी जोत वाले किसानों के लिए वरदान बनीं 'सोलर दीदियां', सि‍ंचाई-कमाई दोनों में हो रहा फायदा

बिहार में बड़ी संख्‍या में छोटी जोत वाले किसान रहते हैं. ऐेसे में इन्‍हें सिंचाई के लिए दूसरे बड़ी जोत वाले किसानों पर निर्भर रहना पड़ता था. लेकिन, अब सोलर दीदियां इन्‍हें कम दरों पर पानी सप्‍लाई कर खुद भी पैसे कमा रही हैं और इन किसानों की खेती की लागत भी कम कर रही है. पढ़‍िए ऐसी ही महिलाओं की कहानी...

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सोलर दीदियां किसानों की कर रहीं मदद. (सांकेतिक फोटो) सोलर दीदियां किसानों की कर रहीं मदद. (सांकेतिक फोटो)

देश में मह‍िलाओं को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्‍य सरकारें लगातार काम कर रही है. कई योजनाओं से महिलाओं को लाभ मिल रहा है. इसका ही नतीजा है कि देश की वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्‍सेदारी भी बढ़ रही है. एक ऐसी ही कहानी बिहार से सामने आई है, जहां दो साल पहले तक बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बोच्चा तहसील के रतनपुरा गांव की देवकी देवी और उसी तहसील के करनपुर दक्षिण पंचायत के भगवानपुर दधिया की सुनीता देवी गृहिणी हुआ करती थीं, जिनका पूरा समय परिवार के लिए भोजन सहित अन्‍य दैनिक कार्यों को पूरा करने में निकल जाता था. थोड़ा बहुत समय बचता था तो वह भी मवेशियों की देखभाल में लग जाता था. अब इन दोनों महिलाओं का जीवन पूरी तरह बदल गया है.

सोलर दीदी के नाम से बनी पहचान

अब इलाके में देवकी और सुनीता "सोलर दीदी" के नाम से पहचानी जाती हैं. वर्ष 2023 में दोनों ने सौर ऊर्जा सिंचाई का काम अपनाया और यह फैसला उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. ‘बिजनेसलाइन’ की रिपोर्ट के मुताबि‍क, सौर ऊर्जा सिंचाई से जीवन में बदलाव की ये कहानी सिर्फ दो महिलाओं तक सीम‍ित नहीं है.

बोच्चा तालुक में 90 से ज्‍यादा महिला उद्यमि‍यों की जिंदगी में इससे बदलाव आया है. ये सोलर दीदियां अपने तालुक के 3,000 से ज्‍यादा छोटे किसानों की मदद कर रही हैं. इसमें आगा खान ग्रामीण सहायता कार्यक्रम (भारत) (AKRSP), जीविका, माइक्रो-फाइनेंस फ़र्म रंग दे, एक्सिस बैंक और गेट्स फ़ाउंडेशन जैसे गैर-सरकारी संगठन (NGO) भी खास भूमिका निभा रहे हैं. 

सस्‍ती दर पर पानी की सप्‍लाई

AKRSP के टीम लीडर मुकेश चंद्रा ने बताया कि ‘सोलर दीद‍िया’ अपने गांव और आस-पास के खेताें में किसानों को सस्‍ती दरों पर पानी सप्‍लाई करती हैं. बिहार में बड़ी संख्‍या में छोटी जोत वाले किसान हैं. ऐसे में उनके लिए जमीन पर सिंचाई की सुवि‍धा हासिल करना मुश्किल काम है और वे पड़ोसी किसानों से सिंचाई के लिए पानी खरीदते हैं. मुकेश चंद्रा ने कहा कि आज से पांच साल पहले तक बिजली उपलब्ध नहीं होने पर किसान डीजल सेट से पानी पंप करके खरीदा करते थे. बाद में बिजली से चलने वाले पंपों से पानी खरीदने लगे.

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अब सोलर पंप का चलन बढ़ रहा है, क्‍योंकि इसमें लागत भी कम आती है और समय पर सि‍चाई होने से फसलों की उपज और क्‍वालिटी में सुधार रहता है. डीजल या बिजली से चलने वाले पंप 3 हॉर्स पावर के होते हैं. वहीं, सोलर पंप 5 हॉर्स पावर के होते हैं, जिससे ये ज्‍यादा पानी खींचने में सक्षम हैं. साथ ही इसमें बिजली कटौती की चिंता भी नहीं रहती.

इतना बैठता है खर्च

सोलर दी‍दी देवकी ने बताया कि डीजल पंप से पानी की सप्‍लाई करने पर एक घंटे में 150-200 रुपये का खर्च आता है. वहीं, बिजली से चलने वाले पंप पर प्रति घंटा 120-150 रुपये का खर्च आता है. लेकिन, वे सोलर पंप से पानी की सप्‍लाई मांत्र 100 रुपये प्रति घंटे की दर से करती हैं. सोलर पंप से एक घंटे में 3 से 4 कट्ठा खेत में सिंचाई संभव है. देवकी ने कहा कि सोलर पंप से प्रति कट्टा 25 से 35 रुपये खर्च होते हैं, जबकि बिजली वाले से 60 रुपये और डीजल वाले से 75 रुपये खर्च होते हैं. 

ये है योजना की पात्रता

सोलर सिंचाई पंप लगाने में कम से कम 6 लाख रुपये का शुरुआती निवेश लगता है. जिसमें गेट्स फाउंडेशन सोलर वाटर पंप सप्‍लाई करके 3 लाख रुपये का खर्च उठाता है. योजना के लिए पात्रता को लेकर मुकेश चंद्रा ने बताा कि महिला या उसके परिवार के पास दो एकड़ से ज्‍यादा जमीन नहीं होनी चाहि‍ए. इसके अलावा उनका स्वयं सहायता समूहों से जुड़ा होना अनिवार्य है. योजना से जुड़कर ‘सोलर दीदी’ देवकी अपने बच्चों को ट्यूशन पढ़ने भेजने में सक्षम हो पाई है. वहीं, सुनीता अपने पोते-पोतियों को अब प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रही हैं.