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बिहार के इस गांव में उगा दिए केरल के 6000 नारियल के पेड़, 25 रुपये में बिक रहा एक डाब

बिहार के इस गांव में उगा दिए केरल के 6000 नारियल के पेड़, 25 रुपये में बिक रहा एक डाब

किसान संजीव कुमार ने बताया कि वैज्ञानिकों ने मैदानी क्षेत्र के लिए टीडी वन प्रजाति के नारियल के पौधे विकसित किए थे. ऐसे में उन्होंने प्रयोग के तौर पर कुछ पौधे मंगवाए और अपने खेतों में लगा दिए. वहीं आज नारियल की खेती सिवान के कई गांवों और प्रखंडो में हो रही है. साथ ही संजीव कुमार के इस प्रयासों को देख कर नारियल विकास बोर्ड ने उन्हें मंडल सदस्य बनाया गया है.

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बिहार के इस गांव में उगा दिए केरल के 6000 नारियल के पेड़ बिहार के इस गांव में उगा दिए केरल के 6000 नारियल के पेड़

कहते हैं ना कि कुछ अनोखा वही करता है जिसमें कुछ करने का जुनून और जज्बा हो. साथ ही कुछ अलग करने की चाहत हो, फिर उसे कोई नहीं रोक सकता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है संजीव कुमार सिंह ने जो सिवान जिले के काला डुमरा गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने अपने खेतों में समुद्र के किनारे उगने वाले नारियल को बिहार के मैदानी क्षेत्र में सफलतापूर्वक उगा दिया है. संजीव कुमार खेती में ज्यादा लाभ कमाने और कुछ नया परिवर्तन करने के लिए नारियल की खेती में सफल हुए हैं. उनके इस प्रयास को देखते हुए जिले के 1500 से अधिक किसान नारियल की खेती से जुड़ गए हैं.

इसी के साथ जिले में अब छह हजार से अधिक नारियल के पेड़ हो गए हैं. जो साल में दो बार फल दे रहे हैं. इससे न केवल जिले में डाब की बढ़ती मांग को पूरा किया जा रहा है बल्कि पूरे प्रदेश में ये उत्पादन पहुंचाया जा रहा है. वहीं, नारियल की खेती किसानों के लिए लाभ का सौदा साबित हो रही है क्योंकि किसानों को अभी थोक में प्रति डाब 20 से 25 रुपये की कीमत मिल रही है.

मौदानी क्षेत्र वाले लगाए पौधे

किसान संजीव कुमार ने बताया कि वैज्ञानिकों ने मैदानी क्षेत्र के लिए टीडी वन प्रजाति के नारियल के पौधे विकसित किए थे. ऐसे में उन्होंने प्रयोग के तौर पर कुछ पौधे मंगवाए और अपने खेतों में लगा दिए. इसके लिए उन्होंने सलाह भी लिए. जैसे पौधों को लगाने से पहले एक वर्ग मीटर का गड्ढा खोदा, फिर उसमें खाद और आवश्यक कीटनाशक डाले, उसके बाद पौधों को गड्ढों में लगा दिया. इसके कुछ महीने बाद ही फल आने शुरू हो गए जिससे उनका उत्साह बढ़ गया. इसके बाद उन्होंने और पौधे मंगवाए.

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कई जिलों में की जा रही है खेती

1996 के बाद उनके पास हर साल कभी पांच हजार तो कभी छह हजार पौधे फ्री में उपलब्ध कराए जाने लगे. वहीं, उन्हें नारियल बोर्ड ने किसान प्रतिनिधि के रूप में पहचान दी है. साथ ही किसानों को प्रेरित करने के लिए इन पौधों का वितरण सिवान के अलावा सारण और गोपालगंज तक कराया जाएगा. वहीं आज नारियल की खेती सिवान के कई गांवों और प्रखंडो में हो रही है. साथ ही संजीव कुमार के इस प्रयासों को देख कर नारियल विकास बोर्ड ने उन्हें मंडल सदस्य बनाया है.

एक पौधा देता है 150 फल 

किसान संजीव कुमार ने बताया कि एक नारियल का पेड़ एक साल में दो बार फल देता है. वहीं, औसतन हर पेड़ से प्रतिवर्ष 150 से अधिक नारियल का उत्पादन होता है. उन्होंने बताया कि नारियल के फलों पर शीत का प्रभाव पड़ने से उत्पादन में कमी आ जाती है. इसके अलावा इसकी खास बात ये है कि केरल में उगाए जाने वाले नारियल की तरह ही इसमें प्रति डाब 200 मिली पानी रहता है. साथ ही स्वाद और क्वालिटी भी समुद्री क्षेत्र के नारियल की तरह ही होता है.