क्या खादों की भी एक्सपायरी डेट होती है, कब तक रख सकते हैं इसे?

क्या खादों की भी एक्सपायरी डेट होती है, कब तक रख सकते हैं इसे?

खाद की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती, लेकिन किसानों के लिए ये चुनौतीपूर्ण होता है कि उसे लंबे समय तक कैसे सुरक्षित रखा जाए. ऐसे में किसानों को कई बातों का ध्यान रखना होता है. इसमें सबसे अधिक ध्यान बरसात के मौसम में देना होता है क्योंकि बरसात के दिनों में बोरे में सीलन लगने का खतरा रहता है.

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क्या खादों की भी एक्सपायरी डेट होती है, कब तक रख सकते हैं इसे?क्या खादों की भी एक्सपायरी डेट होती है

आप जब भी मार्केट से कोई सामान खरीदते हैं तो उसकी एक्सपायरी डेट को जरूर देखते हैं. ऐसा इसलिए ताकि कब तक उस सामान को यूज़ किया जा सकता है. चाहे वह किराने का कोई सामान हो या खेती करने वाले किसानों की खाद हो. दरअसल, आपने गौर किया होगा कि किसी भी सामान के पैकेट पर एक्सपायरी डेट लिखी होती है. लेकिन, आपको ये पता होना चाहिए कि अन्य सामान की तरह ही क्या खादों की भी एक्सपायरी डेट होती है. अगर नहीं पता तो आज हम आपको बताएंगे कि खाद की एक्सपायरी डेट होती है या नहीं. साथ ही यह भी बताएंगे कि आप खाद को कब तक रख सकते हैं? आइए जानते हैं.

खादों की एक्सपायरी डेट होती है?

बात करें खादों की एक्सपायरी डेट की, तो खाद अलग-अलग प्रकार के प्राकृतिक खनिजों और तत्वों से बनी होती है, जो समय के साथ नष्ट नहीं होता है. इससे खादों को साल-दर-साल तक स्टोर किया जा सकता है. इसलिए, रासायनिक खादों की कोई समाप्ति तिथि यानी एक्सपायरी डेट नहीं होती है. लंबे समय तक खराब न होने की वजह से इसे किसान बहुत दिन तक रख सकते हैं.

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कैसे लंबे समय तक रखें सुरक्षित

खाद की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती, लेकिन किसानों के लिए ये चुनौतीपूर्ण होता है कि उसे लंबे समय तक कैसे सुरक्षित रखा जाए, ऐसे में किसानों को कई बातों का ध्यान रखना होता है. इसमें सबसे अधिक ध्यान बरसात के मौसम में देना होता है क्योंकि बरसात के दिनों में बोरे में सीलन लगने का खतरा रहता है. साथ ही अन्य दिनों में हवा लगने का भी खतरा रहता है. हवा लगने से खाद पत्थर जैसा हो जाता है. इससे उसकी क्वालिटी में फर्क आ जाता है.

सीधे सब्सिडी क्यों नहीं दी जाती?

सरकार का मुख्य उद्देश्य किसानों को उचित और सस्ती कीमत पर खाद उपलब्ध कराना है. ऐसे में किसानों को सीधे सब्सिडी वितरित करना संभव नहीं है. इसलिए सरकार किसानों को सीधे सब्सिडी नहीं देती है. हालांकि, सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी किसानों के खाते में नहीं आती है और इसका भुगतान सीधे कंपनियों को किया जाता है. इसके चलते कंपनी से यूरिया की जो 45 किलो की बोरी 2236.37 रुपये में आती है. उस पर सरकार की ओर से सब्सिडी देने के बाद किसानों को एक बोरी यूरिया सिर्फ 266.50 रुपये में देती है.

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