उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)योगी सरकार किसानों को आर्थिक रूप से ‘समृद्ध’ कर उत्तर प्रदेश को सशक्त बना रही है. सीएम योगी के निर्देश के बाद 48 घंटे के भीतर धान व बाजरा किसानों को किया जा रहा भुगतान इसका उदाहरण है. पहली अक्टूबर से धान खरीद शुरू हुई थी, तबसे 28 नवंबर तक धान किसानों को 1868.35 करोड़ व बाजरा किसानों को 263.03 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. यही कारण है कि योगी सरकार की पारदर्शी नीतियों की बदौलत अपनी उपज का लाभकारी मूल्य प्राप्त करने के लिए किसान फसल की बिक्री राजकीय क्रय केंद्रों पर कर रहे हैं. वहीं क्रय केंद्रों पर 17 फीसदी नमी तक का धान खरीदा जा रहा है.
दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर समय-समय पर धान खरीदारी की समीक्षा हो रही है. किसानों को किसी प्रकार की परेशानी न हो, खाद्य व रसद विभाग लगातार इसकी मॉनीटरिंग कर रहा है. 1 अक्टूबर से 28 नवंबर तक के मध्य सरकारी क्रय केंद्रों पर 1.40 लाख से अधिक किसानों ने धान बिक्री की. इसके एवज में किसानों को अब तक 1868.35 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. बचे किसानों के लिए भी सरकार द्वारा तत्काल भुगतान की प्रक्रिया चालू है.
यूपी में श्री अन्न की खरीद भी 1 अक्टूबर से जारी है. श्री अन्न के अंतर्गत बाजरा किसान भी सरकारी क्रय केंद्रों पर अपनी फसल को लेकर जा रहे हैं. 28 नवंबर तक लगभग 22,000 किसानों को 263.03 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. बाकी बचे किसानों को भी तत्काल भुगतान करने की प्रक्रिया पर जोर दिया जा रहा है. बाजरा की बिक्री के लिए 64 हजार से अधिक किसानों ने पंजीकरण भी करा लिया है.
बता दें कि बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2775 रुपये प्रति कुंतल तय किया गया है. बाजरा खरीद सिर्फ 33 जनपदों में ही हो रही है. इसके लिए 281 क्रय केंद्रों की स्थापना की जा चुकी है. जबकि धान खरीद (कॉमन) 2369 रुपये तथा (ग्रेड-ए) 2389 रुपये प्रति कुंतल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर हो रही है.
सीएम योगी ने हाल में बैठक लेकर अधिक से अधिक किसानों से क्रय केंद्रों पर धान की खरीद कराने का निर्देश दिया था. इसके पीछे उनकी मंशा अधिक से अधिक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ दिलाना था. उत्तर प्रदेश में धान खरीद प्रणाली को लेकर योगी सरकार की मंशा धरातल पर मजबूती से दिखाई दे रही है.
ई-पॉप मशीनों से बायोमीट्रिक सत्यापन, पंजीकृत किसानों से ही खरीद, बिचौलियों की समाप्त होती भूमिका और 48 घंटे में भुगतान आदि ने व्यवस्था को पारदर्शी बनाया है. रिकॉर्ड स्तर की धान खरीद, राइस मिलों को मिली राहत और किसानों के लिए की गई सुविधाओं ने उनकी आमदनी, भरोसे और आत्मनिर्भरता को नई दिशा दी है.
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