ग्रामीण रोजगार की गारंटी देने वाली 'महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना' (MGNREGA) के अंतर्गत ग्रामीण विकास से जुड़े सरकारी कामों में गांव के श्रमिकों को ही काम दिया जाता है. सरकार का दावा है कि उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में मनरेगा से ग्रामीण इलाकों में श्रमिक वर्ग को नियमित आजीविका के लिए काम मुहैया कराने में मनरेगा ने अहम भूमिका निभाई है. इस मामले में उत्तर प्रदेश का बेहतर रिपोर्ट कार्ड सामने आया है.
मनरेगा की 'प्रगति रिपोर्ट' में दर्शाए गए आंकड़ों के आधार पर उप्र की योगी सरकार ने अन्य राज्यों की तुलना में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की बात कही है. राज्य सरकार के ग्राम्य विकास विभाग की मनरेगा से जुड़ी इस रिपोर्ट में योजना के मानकों का पालन करते हुए सामने आए परिणामों का जिक्र किया गया है.
प्रगति रिपेार्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 में मनरेगा के तहत ग्रामीण इलाकों के श्रमिकों को देश में सर्वाधिक काम के अवसर उप्र में मिले हैं. चालू वित्त वर्ष के दौरान उप्र में 24 जनवरी तक 2752 लाख मानव दिवस सृजित किए गए. इसके मानकों के अनुसार एक मजदूर को जितने दिन काम करने के लिए मिलते हैं, उस अवधि को उतने मानव दिवस के रूप में गिना जाता है. इस लिहाज से सरकार का दावा है कि उत्तर प्रदेश में ग्रामीण मजदूराें के लिए सबसे ज्यादा मानव दिवस सृजित किए गए. इस अवधि में मानव दिवस सृजन के मामले में महिला श्रमिकों की भागीदारी 37 प्रतिशत रही. इस मामले में 2739.23 लाख मानव दिवस के साथ राजस्थान दूसरे एवं 2619.86 लाख मानव दिवस के साथ तमिलनाडू तीसरे स्थान पर है.
प्रगति रिपोर्ट के अनुसार मनरेगा में सबसे ज्यादा व्यय करने वाला राज्य उत्तर प्रदेश है. इस योजना में योगी सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 24 जनवरी तक 9495.09 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. इसमें मजदूरी पर 5860.54 करोड़ रुपये व्यय हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार इस योजना के अंतर्गत उप्र के मजदूरों को 83 प्रतिशत भुगतान समय से किया गया. इस मामले में दूसरे स्थान पर रहे तमिलनाडू ने 8915.04 करोड़ रुपये और तीसरे स्थान पर राजस्थान ने 7569.29 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी का भुगतान आधार कार्ड से लिंंक किए जाने के बाद किया जाता है. सरकार का दावा है कि 94 प्रतिशत श्रमिकों को आधार से लिंक कर लिया गया है.
उप्र में मनरेगा के माध्यम से सर्वाधिक श्रमिक परिवारों को साल में 100 दिन का पूर्ण रोजगार देने की भी उपलब्धि हासिल की गई है. प्रगति रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक उप्र में 24 जनवरी तक 3,87,047 परिवारों को 100 दिन का पूर्ण रोजगार दिया गया. इस मामले में 2,98,305 परिवारों को 100 दिन का पूर्ण रोजगार देने के साथ ओडिशा दूसरे स्थान पर और 1,93,929 परिवारों को काम देकर राजस्थान तीसरे स्थान पर है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रत्येक ग्राम पंचायत में 2 अमृत सरोवर बनाने की योजना के तहत मनरेगा में अब तक सबसे ज्यादा अमृत सरोवर बनाने का दावा किया है. प्रगति रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में इस योजना के तहत बनने वाले 16,472 अमृत सरोवरों को चिन्हित कर 24 जनवरी तक 8793 सरोवर बना लिए गए हैं, जबकि 10958 सरोवरों का काम चल रहा है. इस मामले में दूसरे स्थान पर रहे मप्र में 2424 अमृत सरोवर और तीसरे स्थान पर आए जम्मू कश्मीर में 2395 अमृत सरोवर बन कर तैयार हो गए हैं. इसी प्रकार स्वतंत्रता प्राप्ति के 75वें वर्ष में उप्र ने 75 जिलों में 75 स्थानीय नदियों का जीर्णोद्धार करने के लिए चयन किया है. इन नदियों के जीर्णोद्धार का काम मनरेगा श्रमिकों से कराया जा रहा है. इसके तहत चालू वित्त वर्ष में 24 जनवरी तक 61 जिलों में बदहाली की शिकार 64 नदियों की दशा सुधारने का काम प्रारंभ कर दिया है.
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