एक ऐसी फिश मंडी जहां मछली की प्रोसेसिंग यूनिट हो और फिश रेस्टोरेंट जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हो. जी हां, यहां विदेश की किसी मछली मंडी की बात नहीं हो रही है, बल्कि भारत में ही यूपी के चंदौली में बनने वाली मछली मंडी का जिक्र किया जा रहा है. किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के मकसद को पूरा करने की कड़ी में मछली पालकों को भी शामिल करते हुए देश में इस तरह की पहली मछली मंडी बनाई जाएगी. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस मछली मंडी की और क्या खास बातें हैं-
चंदौली की जिलाधिकारी ईशा दुहन ने इस फिश मंडी के निर्माण की कार्य योजना को उजागर करते हुए बताया कि अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरने वाली अल्ट्रा मॉडर्न थोक फिश मंडी के निर्माण की जगह और नक्शा आदि तय कर लिए गए हैं. चंदौली में दिल्ली, कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग पर करीब 1 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इसे बनाया जाएगा. यह फिश मंडी 61.87 करोड़ रुपये की लागत से बनेगी.
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अगले साल जुलाई तक इसका निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है. दुहन ने बताया कि सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जल्द ही इसका निर्माण कार्य शुरू होने जा रहा है. इसके निर्माण कार्य को लेकर एक एजेंसी से करार हो चुका है.
यूपी सरकार का दावा है कि यह अपने तरह की पहली फिश मंडी होगी. इससे सीधे तौर पर पूर्वांचल के मछली पालकों की आय में इजाफा होगा. साथ ही समूचे यूपी में मत्स्य पालन को भी बढ़ावा मिल सकेगा.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के यूपी स्थित संसदीय क्षेत्र वाराणसी के पास चंदौली में बनने वाली इस मंडी में मछलियों की थोक एवं खुदरा बिक्री के अलावा मछली पालन से संबंधित सभी उपकरण, सीड्स, दवाएं, चारा आदि की सुविधा एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराई जाएंगी. मालूम हो कि पीएम मोदी ने हाल ही में लखनऊ में संपन्न हुए ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मत्स्य पालन क्षेत्र को संभावनाओं से भरपूर बताया था. इस पर तत्काल काम शुरू करते हुए राज्य सरकार ने इस मंडी की कार्ययोजना को आगे बढ़ा दिया है. सरकार का दावा है कि आधुनिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर की भारत की यह पहली मछली मंडी होगी.
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जिलाधिकारी ने बताया कि मछली पालन को लेकर दुनिया भर में प्रचलित नई तकनीकों का प्रदर्शन करने के लिए एक आधुनिक 'एग्जीबिशन हॉल' भी इस मंडी में बनाया जाएगा. इतना ही नहीं इस मंडी में पीपीपी मॉडल पर बनने वाला 'एक्सक्लूसिव फिश रेस्टोरेंट' भी होगा. इसे मंडी की दूसरी मंज़िल पर बनाया जाएगा, जहां मछली शौकीन तमाम लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठा सकेंगे. इसके अलावा मछली पालकों के प्रशिक्षण और सेमिनार आदि के लिए 'कांफ्रेंस हॉल', मछली से बनने वाले अन्य उत्पादों की 'प्रोसेसिंग यूनिट' समेत कई तरह की सुविधाएं होंगी.
दुहन ने बताया कि चंदौली के अलावा पूरे पूर्वांचल के लिए यह मछली मंडी मील का पत्थर साबित होगी. इससे ना केवल मत्स्य पालकों की आय बढ़गी बल्कि इस उद्योग से जुड़े अन्य लोगों को मछली पालन के क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे. इसका सीधा लाभ चंदौली के 1125 मत्स्य पालकों को उनके मछली उत्पाद का उचित मूल्य मिलने से रूप में तत्काल प्रभाव से मिलने लगेगा. उन्होंने बताया कि इस थोक मंडी में 25 हज़ार टन मछली का व्यवसाय करने की क्षमता होगी. मंडी में 111 दुकानें भी बनाई जाएंगी. इनके माध्यम से 125 लोगों को प्रत्यक्ष और 1000 से अधिक लोगों को परोक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध होगा.
दुहन ने बताया कि मंडी की पूरी इमारत सेंट्रली वातानुकूलित होगी. इसमें बिजली की बचत के लिए 400 किलोवाट का सोलर पावर भी लगाए जाने की योजना है. इसमें आवागमन की सुलभ सुविधा के लिए आने जाने के रास्ते अलग-अलग होंगे. मछलियों की दुर्गन्ध न फ़ैले इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित वेंटिलेशन का विशेष प्रबंध होगा. जिससे मंडी आने वालों को परेशानी न हो. मंडी में व्यापारियों और ट्रक ड्राइवरों के लिए गेस्ट हाउस भी बनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस मंडी के निर्माण में 30 करोड़ रुपये केंद्र सरकार, 20 करोड़ रुपये राज्य सरकार और 11.87 करोड़ रुपये मंडी परिषद खर्च करेगी.
मछली मंडी की कुल 3 मंजिला इमारत में एक विशालकाय एवं भव्य 'एक्सपीरियंस सेंटर' होगा जिसमें एग्जिबीशन हाल, 2 कांफ्रेंस हॉल, एक सेमनिनार हॉल और 6 लेक्चर हॉल होंगे. इसके अलावा इसमें एक संग्रहालय भी होगा, जो भारत में मछली पालन के इतिहास से रुबरू कराएगा. इसके अलावा 2 मंजिल का एक थोक विक्रय ब्लॉक भी इसी मंडी परिसर में होगा. इस ब्लॉक में तीन आकार की दुकानें होंगी. साथ ही 2 मंजिल का खुदरा बिक्री ब्लॉक भी होगा. इसमें रिटेल स्टोर, एक रिटेल रेस्टोरेंट होगा.
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