बिहार मशरूम उत्पादन का बड़ा हब बनकर उभर रहा है. इससे किसानों की इनकम में सुधार हो रहा है, क्योंकि यह ऐसा काम है जिसमें लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है. मशरूम उत्पादन ने बिहार की महिलाओं की तकदीर और तस्वीर को बदलने का काम किया है. मशरूम के साथ-साथ मधुमक्खी पालन भी महिलाओं की कमाई बढ़ाने के लिए एक अच्छा विकल्प बनकर उभर रहा है. इन दोनों कार्यों से बिहार की कई महिलाओं ने न सिर्फ अपने को आगे बढ़ाया है बल्कि दूसरे लोगों को रोजगार भी दिया है. आज हम आपको ऐसी दो महिलाओं की सफलता की कहानी बता रहे हैं.
बिहार के मुंगेर जिले के टेटिया बम्बर प्रखण्ड के तिलकारी गांव की रहने वाली यशोदा देवी ने मधुमक्खी पालन एवं मशरूम उत्पादन में एक मिशाल कायम की है. यशोदा एक गृहिणी होने के साथ न सिर्फ इस काम से आत्मनिर्भर बनीं बल्कि "आत्मा" योजना के माध्यम से तिलकारी खाद्य सुरक्षा समूह बनाकर दूसरे महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया.
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आज गांव की बदली हुई तस्वीर के साथ ही यशोदा देवी महिला सशक्तिकरण का उदाहरण भी हैं. वर्ष 2010 में उन्होंने मात्र 500 रुपये से मशरूम की खेती की शुरुआत की थी. आज वह जैविक खेती, मधुमक्खी पालन एवं अनेक तरह की तकनीक युक्त खेती कर रही हैं. इससे अच्छा मुनाफा कमा रही हैं. साथ ही स्थानीय महिलाओं को प्रशिक्षण भी देती हैं. उनको अपने पैर पर खड़ा होने का गुर भी सिखाती हैं.
#HerSuccessStory ~ A Series#मुंगेर जिले के तिलकारी गाँव की निवासी श्रीमती यशोदा देवी ने मधुमक्खी पालन एवं मशरूम उत्पादन में एक मिशाल कायम की हैं।
— Director, BAMETI, Bihar (@BametiBihar) March 7, 2024
यशोदा न सिर्फ आत्मनिर्भर बनी बल्कि "आत्मा" के माध्यम से तिलकारी खाद्य सुरक्षा समूह बनाकर दूसरे महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया। pic.twitter.com/dZDh9qANyI
इसी तरह से बक्सर जिले की रहने वाली जूही पांडे ने "आत्मा" स्कीम के सहयोग से एक 15 सदस्यीय महिला समूह का गठन किया. जिसमें नियमित बैठक करके पूंजी का सृजन करने के बाद मशरूम आचार, सूरन आचार, दाल बरी, जैम-जेली का निर्माण और मार्केटिंग की शुरुआत की. आज इस कंपनी का टर्न ओवर 12 लाख रुपये है. इससे हासिल मुनाफा कुल 15 महिलाओं के बीच बांटा जाता है. इनके द्वारा एक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है, जिसमें अन्य महिलाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है.
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