उत्तर प्रदेश में कृषि को आत्मनिर्भर और टिकाऊ बनाने के लिए चलाए जा रहे ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ ने अब तक किसानों के बीच जबरदस्त प्रभाव डाला है. अभियान के तेरहवें दिन तक 15.55 लाख से अधिक किसान इससे जुड़ चुके हैं. लखनऊ, वाराणसी और अयोध्या सहित प्रदेश के 75 जनपदों में अब तक 8775 से अधिक स्थानों पर कृषक गोष्ठियों और जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन हो चुका है. इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों, सरकारी योजनाओं और जलवायु-अनुकूल खेती के प्रति प्रशिक्षित करना है.
लखनऊ के चिनहट विकासखंड के धतिंगरा गांव में आयोजित गोष्ठी में किसानों को डीएसआर विधि, पॉलीहाउस, स्प्रिंकलर, मल्चिंग, बीज शोधन और सहफसली खेती जैसी तकनीकों की जानकारी दी गई. वैज्ञानिकों ने मृदा परीक्षण और संतुलित उर्वरक प्रयोग जैसे विषयों पर भी विस्तार से चर्चा की. इस कार्यक्रम में उप कृषि निदेशक विनय कौशल, केवीके लखनऊ के वैज्ञानिक डॉ. एके दुबे, डॉ. कंचन कुमार श्रीवास्तव, डॉ. ललित कुमार, आलोक कुमार पांडेय, विवेक चौधरी ग्राम प्रधान सहित बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया.
इसी तरह वाराणसी के आरज़ी लाइंस क्षेत्र में उप कृषि निदेशकों और कृषि अधिकारियों की मौजूदगी में कृषि योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी गई. जल संचयन, वृक्षारोपण और प्राकृतिक खेती जैसे विषय इस सत्र के केंद्र में रहे. इस अवसर पर उप कृषि निदेशक शैलेंद्र कुमार, उप कृषि निदेशक अमित जायसवाल और जिला कृषि अधिकारी संगम सिंह मौर्य उपस्थित रहे.
अयोध्या मंडल में आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमागंज में आयोजित कार्यक्रम में बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, यूनिवर्सिटी के कुलपति और सैकड़ों किसान उपस्थित रहे. यहां आईपीएम, मल्चिंग, और उन्नत बीजों के उपयोग पर गहन विचार-विमर्श हुआ.
उल्लेखनीय बात है कि प्रदेश के किसान इस अभियान को हाथोंहाथ ले रहे हैं. किसानों की बढ़ती भागीदारी इस बात का संकेत है कि कृषक समुदाय अब नवाचार और तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तैयार है. अगले चरण में यह अभियान और व्यापक होगा. कार्यक्रम के प्रति कृषकों के बढ़ते उत्साह को देखते हुए आशा की जा रही है कि आगामी दिनों में किसानों की प्रतिभागिता और अधिक बढ़ने की उम्मीद है.
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