तेलंगाना सरकार ने धान की बेहतरीन किस्म का उत्पादन करने वाले किसानों को 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने का फैसला किया है. इसके लिए वह 2,500 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करेगी. खास बात यह है कि कैबिनेट से बोनस पर खर्च करने के लिए 2,500 करोड़ रुपये की मंजूरी भी मिल गई है. इस खबर से तेलंगाना के धान किसानों के बीच खुशी की लहर है. ऐसे भी कांग्रेस पार्टी ने पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान किसानों को बेतरीन किस्म के धान की खरीद पर 500 रुपये क्विंटल की दर से बोनस देने का वादा किया था. ऐसे में तेलंगाना कांग्रेस के नेता कैबिनेट के फैसले को बहुत बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं.
सरकार के अनुमान के मुताबिक, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अलावा प्रति एकड़ करीब 10,000 रुपये दिए जाएंगे. यानी 2,500 करोड़ रुपये का आवंटन सरकारी खरीद केंद्रों के जरिए धान खरीदने के लिए किए गए बजट आवंटन के अतिरिक्त है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) जैसी सरकारी संस्थाओं द्वारा किए गए अध्ययनों के अनुसार, तेलंगाना में किसान प्रति एकड़ औसतन 20 क्विंटल धान का उत्पादन करते हैं.
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द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कहा जा रहा है कि राज्य सरकार किसानों को प्रति एकड़ 10,000 रुपये बोनस भी देगी. राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस खरीफ सीजन में राज्य में कुल 154 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन होगा. इसमें से 80 लाख मीट्रिक टन धान की सरकारी खरीद की जाएगी. इसके लिए मंडियों में सारी तैयारियां कर ली गई हैं. उपज बेचने आने वाले किसानों को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी. सरकार का अनुमान है कि खरीद केंद्रों पर आने वाले 80 लाख मीट्रिक टन धान में से 50 लाख मीट्रिक टन धान सुपरफाइन किस्म का होगा.
राशन की दुकानों और सरकारी छात्रावासों के माध्यम से वितरण के लिए 36 लाख मीट्रिक टन धान सुपरफाइन चावल की आवश्यकता है. राशन की दुकानों के माध्यम से गरीब लोगों को सुपरफाइन चावल वितरित करके, सरकार को उम्मीद है कि उपभोक्ताओं द्वारा चावल का बेहतर उपयोग किया जाएगा. वर्तमान में, यह चावल कालाबाजारी का रास्ता खोज रहा है.
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वहीं, बीते जुलाई महीने में खबर सामने आई थी कि तेलंगाना में रबी धान की खरीद प्रक्रिया बंद हो गई है. कांग्रेस सरकार ने रबी सीजन के 48 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद पूरी कर ली है, जिसमें बारिश में खराब हुए स्टॉक भी शामिल हैं. नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हालांकि सरकार को 74 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीद की उम्मीद थी, लेकिन किसानों ने 20 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान मिल मालिकों और निजी खरीदारों को एमएसपी से बेहतर कीमत पर बेचा. कुल मिलाकर, सरकार ने लगभग नौ लाख किसानों से धान खरीदा और उनके बैंक खातों में 10,547 करोड़ रुपये जमा किए.
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