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Ethanol: गोंडा का इथेनॉल प्लांट बदलेगा क‍िसानों की क‍िस्मत....

Ethanol: गोंडा का इथेनॉल प्लांट बदलेगा क‍िसानों की क‍िस्मत....

455 करोड़ की लागत से बनकर तैयार यह प्लांट 65 एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है. 350 किलो लीटर प्रतिदिन क्षमता का यह प्लांट अपने तरह का एशिया का सबसे बड़ा प्लांट होगा. यहां से बने हुए एथेनॉल को तेल कंपनियों के पास पाइपलाइन के माध्यम से भेजा जाएगा.

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एशिया के सबसे बड़े एथेनॉल प्लांट एशिया के सबसे बड़े एथेनॉल प्लांट

गोंडा में एशिया का सबसे बड़े इथेनॉल प्लांट स्थाप‍ि‍त क‍िया गया है. ये इथेनॉल प्लांट क‍िसानों की क‍िस्मत बदल सकता है. इस प्लांट के स्थाप‍ित हो जाने के बाद गाेंडा के आस-पास के गन्ना क‍िसानों को फायदा होने की संभावनाएं हैं. असल में इथेनॉल के उत्पादन के ल‍िए गन्ने की आवश्यकता होगी. ऐसे में आस-पास के क‍िसानों प्लांट में आसानी से गन्ने की आपूर्त‍ि कर सकेंगे. इससे क‍िसानों को समय पर गन्ने का भुगतान हो सकेगा. मसलन, इससे क‍िसानों की आमदनी बढ़ेगी. मालूम हो क‍ि पेट्रोल में 20 फीसदी इ‍थेनॉल गन्ने का सम‍ि‍श्रण करने का प्रावधान है. गन्ने से इथेनॉल बनाया जा रहा है.

455 करोड़ की लागत से तैयार प्लांट  

गोंडा में स्थाप‍ित क‍िए जा रहे इथेनॉल प्लांट का उद्घाटन  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था. 455 करोड़ की लागत से बनकर तैयार यह प्लांट 65 एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है. 350 किलो लीटर प्रतिदिन क्षमता का यह प्लांट अपने तरह का एशिया का सबसे बड़ा प्लांट होगा. यहां से बने हुए इथेनॉल को कंपनियों के पास पाइपलाइन के माध्यम से भेजा जाएगा. इसके इस्तेमाल से पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत कम करने में भी सरकार को मदद मिलेगी. वहीं दूसरी तरफ इसके संचालन के लिए प्रतिदिन भारी मात्रा में गन्ने की आवश्यकता होगी जिससे किसानों की किस्मत भी चमकेगी.

एथेनॉल प्लांट से किसानों की चमकेगी किस्मत

गोंडा जनपद में बनकर तैयार हुए इथेनॉल प्लांट (Ethanol plant) से किसानों की किस्मत चमक उठेगी. इस प्लांट के संचालन के लिए प्रतिदिन 50000 क्व‍िंटल गन्ने की आवश्यकता रहती हैं, जिससे करीब 60 हजार किसानों को फायदा हो रहा है. इस प्लांट में गन्ने का जूस, चीनी का घोल, जौ, मक्का, चावल से इथेनॉल बनाया जाएगा. वहीं तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर चुके युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलें है .

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बरेली में भी बनकर तैयार हुआ इथेनॉल प्लांट

उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद में भी इथेनॉल प्लांट बनकर तैयार हो गया है. इसका ट्राॅयल भी शुरू किया गया है. गन्ना, ज्वार, मक्का, बाजरा ,धान गेहूं के बीजों के इस्तेमाल से इथेनॉल बनाने का काम हो रहा है. वहीं बरेली में यह इथेनॉल प्लांट 25 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है. वहीं इस इथेनॉल प्लांट से 175 किलोलीटर इथेनॉल बनाने का लक्ष्य है.

कैसे बनता है इथेनॉल

इथेनॉल को ग्रीन फ्यूल भी कहा जाता है. बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के लिए देश में 199 इथेनॉल प्लांट का निर्माण जारी है. इतना उनको ग्रीन फ्यूल भी कहा जा रहा है. गन्ना, मक्का, सूखे चावल और खाद्यान्न के अवशेषों से इथेनॉल का निर्माण होता है. ईंधन की खपत को पूरा करने के लिए पेट्रोल और डीजल में इसे सम्मिश्रण किया जाता है. 2030 तक डीजल पेट्रोल की कीमत में 20 फ़ीसदी एथेनॉल के मिश्रण की सरकार की योजना है.