केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को नई दिल्ली में वीडियो कांफ्रेंसिंग से एक महत्वपूर्ण बैठक ली, जिसमें समीक्षा करते हुए देश के किसानों के हित में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन के दिशा-निर्देशों में बड़े बदलाव करने की स्वीकृति दी गई. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के घटकों में किसानों हित में परिवर्तन किए गए हैं. मिशन के दिशा-निर्देशों में संशोधन करते हुए किसानों और बीज उत्पादकों के लिए सब्सिडी बढ़ाई गई है. वहीं कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने स्पष्ट तौर पर अधिकारियों से कहा कि योजना का लाभ सिर्फ किसानों को मिलना सुनिश्चित किया जाना चाहिए. ऐसा नहीं होना चाहिए कि किसानों के नाम पर अन्य कोई फायदा उठा लें.
इस मिशन के तहत, पारंपरिक-देशी बीज किस्मों का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रावधान किया गया है. वहीं पंचायत स्तर पर बीज प्रसंस्करण और भंडारण इकाई लगाने की भी मंत्री शिवराज सिंह ने मंजूरी दी. शिवराज सिंह ने आला अफसरों को निर्देश दिए कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होना चाहिए, ताकि किसानों का भला हो.
पूर्ववर्ती “बीज और रोपण सामग्री” (एसएमएसपी) उप मिशन सहित “राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और पोषण मिशन” (एनएफएसएनएम) अब कृषि संवर्धन योजना का एक घटक होगा. मिशन के उद्देश्य हैं- देश के चिन्हित जिलों में सतत तरीके से क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता वृद्धि के माध्यम से चावल, गेहूं, दलहन, मोटे अनाज (मक्का व जौ) और पोषक अनाज (श्री अन्न) का उत्पादन बढ़ाना, व्यक्तिगत खेत स्तर पर मिट्टी की उर्वरता और उत्पादकता बहाल करना, किसानों में विश्वास बहाल करने के लिए कृषि स्तरीय अर्थव्यवस्था (अर्थात कृषि लाभ) को बढ़ाना और कुशल बाजार संपर्कों के माध्यम से किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्ति के लिए खेत पर फसलोपरांत मूल्य संवर्धन को बढ़ाना और बीज प्रतिस्थापन दर (एसआरआर) और किस्म प्रतिस्थापन दर (वीआरआर) को बढ़ाना और देश के बीज क्षेत्र के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर ढांचे में सुधार करना.
बैठक में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने नई प्रजातियों के प्रदर्शन, प्रमाणित बीज उत्पादन और प्रमाणित बीज वितरण के घटकों में किसानों के लिए सब्सिडी बढ़ाने की मंजूरी दी है. साथ ही जलवायु अनुकूल, बायो-फोर्टिफाइड और उच्च उपज देने वाली किस्मों के उत्पादन को प्राथमिकता दी जाएगी. मिशन के सभी प्रावधानों पर डिजिटली मानिटरिंग की जाएगी. कृषि मैपर और साथी पोर्टल की सहायता भी इसमें ली जाएगी. केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि स्कीम का फायदा किसानों को पूरी तरह से मिलना सुनिश्चित किया जाए और स्कीम के केंद्र में किसान ही हों.
इसी तरह, पारंपरिक किस्मों के उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रावधान नए दिशा-निर्देशों में करने की स्वीकृति शिवराज सिंह ने दी है, क्योंकि ये पारंपरिक किस्में फसल विकास, स्थानीय अनुकूलन, पोषण मूल्य और अन्य महत्वपूर्ण विशेषताओं में रणनीतिक महत्व रखती हैं. इस प्रकार पहचान, सूचीकरण, उनके उत्पादन के मुख्य क्षेत्रों की पहचान, जियोटैगिंग, उनके उत्पादन में वृद्धि, उनके उत्पादों को लोकप्रिय बनाने और उनकी मार्केटिंग क्षमता बढ़ाने जैसे समग्र दृष्टिकोण के साथ पारंपरिक किस्मों को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है. इसलिए, इस घटक में उनके बीज वितरण, उत्पादन, विभिन्न पहलुओं में क्षमता निर्माण, पीपीवीएफआरए और राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण द्वारा पंजीकृत ऐसी किस्मों के बीज बैंक के निर्माण/विकास पर सहायता/प्रोत्साहन का प्रावधान है.
संशोधित दिशा-निर्देशों में ग्राम पंचायत स्तर पर बीज प्रसंस्करण और भंडारण इकाई का प्रावधान भी किया गया है. इसके तहत, एसएमएसपी के पूर्ववर्ती घटक अर्थात ग्राम पंचायत स्तर पर बीज प्रसंस्करण और भंडारण इकाई को पुनर्जीवित करने की स्वीकृति भी केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दी गई है, ताकि देशभर के किसानों के आसपास के क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर बीज प्रसंस्करण, सफाई, ग्रेडिंग, पैकेजिंग और भंडारण कार्य किया जा सके.
गैर पारंपरिक तरीके से आलू बीज उत्पादन के लिए नए घटक के निर्देशों को भी केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने मंजूरी दी है. वहीं बीज उत्पादन, विधायन, प्रमाणीकरण और टेस्टिंग से जुड़ी विभिन्न सरकारी एजेंसियों को दी जाने वाली सहायता में भी वृद्धि की गई है, ताकि वे सशक्त होकर बेहतर कार्य कर सकें. बैठक में केंद्रीय कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.
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