
दिल्ली में खराब हवा के लिए पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं को जिम्मेदार माना जाता है. सर्वाधिक पराली जलाने के मामले पंजाब से सामने आए हैं. पराली के धुएं के चलते बीते दिनों दिल्ली गैस चेंबर बनी रही. अब पराली प्रबंधन पर सुप्रीमकोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी में कहा कि पंजाब सरकार पराली निपटान प्रक्रिया को 100 फीसदी मुफ्त क्यों नहीं कर देती है. साथ ही कहा कि वित्तीय प्रोत्साहन देने के तरीके में पंजाब राज्य को भी हरियाणा राज्य से सीख लेनी चाहिए. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि पंजाब सरकार जल्द ही पराली प्रबंधन पर नई गाइडलाइन जारी कर सकती है. हालांकि, अभी तक पंजाब सरकार की ओर से इस पर ऑफिशियल घोषणा नहीं की गई है. लेकिन, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पंजाब सरकार ने पिछले साल की तुलना में 50% से ज्यादा पराली मामलों को कम किया है. हमें उम्मीद है कि सरकार और सक्रियता से काम करेगी और आगे इसमें और कमी देखी जाएगी. उन्होंने पंजाब में पराली नष्ट करने के लिए बायो डिकंपोजर के इस्तेमाल की बात कही है.
दिल्ली की प्रदूषित हवा का मामला देशभर में छाया हुआ है. सुप्रीमकोर्ट में इस मामले की मंगलवार 21 नवंबर को सुनवाई चल रही है. एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पंजाब सरकार की रिपोर्ट बताती है कि SHO द्वारा धान की पराली न जलाने के लिए मनाने की खातिर किसानों और किसान नेताओं के साथ 8,481 बैठकें की गई हैं. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि किसानों को खलनायक बनाया जा रहा है और यहां अदालत में उनकी बात नहीं सुनी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने के लिए उनके पास कुछ कारण होगा.
Delhi-NCR air pollution | Supreme Court says Punjab government’s report suggests that 8481 meetings have been held with farmers and farm leaders to convince them to not burn paddy straws by SHOs.
— ANI (@ANI) November 21, 2023
Supreme Court records in its order that upward trend in farm fires has not abated.… pic.twitter.com/5haxUDQbPt
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि पंजाब सरकार पराली निपटान प्रक्रिया को 100% मुफ्त क्यों नहीं करती? इसे जलाने के लिए किसान को बस एक माचिस की तीली जलानी होगी. किसानों के लिए फसल अवशेष प्रबंधन के लिए मशीन ही सब कुछ नहीं है. भले ही मशीन मुफ्त में दी जाती है, इसमें डीजल की लागत, जनशक्ति आदि शामिल है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि पंजाब डीजल, जनशक्ति आदि को वित्तपोषित क्यों नहीं कर सकता. ऐसे में अब यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी शासित पंजाब सरकार पराली निपटान प्रक्रिया को मुफ्त कर सकता है.
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सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वित्तीय प्रोत्साहन देने के तरीके में पंजाब राज्य को भी हरियाणा राज्य से सीख लेनी चाहिए. बता दें कि पराली नहीं जलाने वाले किसानों को हरियाणा सरकार की ओर से 1,000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि के रूप में किसानों को दे रही है. जबकि, पराली जलाते पकड़े जाने पर 2,500 रुपये प्रति एकड़ से 15,000 रुपये का जुर्माना भी लगाने का प्रावधान है. इस माह की शुरुआत में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने पर कहा था कि वह अपने पराली प्रबंधन के जरिए पंजाब सरकार की मदद करने को तैयार हैं.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पंजाब सरकार ने पिछले साल की तुलना में 50% से ज्यादा पराली को कम किया है. हमें उम्मीद है कि सरकार और सक्रियता से काम करेगी और आगे इसमें और कमी देखी जाएगी. बता दें कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं रोकने के लिए राज्य सरकार ने कई तरह के प्रयास किए हैं. लेकिन, इन पर नई रणनीति पर काम करना होगा. माना जा रहा है कि पंजाब सरकार नई गाइडलाइन जारी कर सकती है.
#WATCH | On pollution, Delhi Environment Minister Gopal Rai says, "...An improvement can be seen in the pollution level in Delhi, which was in the 'Severe' category before... Further improvement will be seen in it in the coming days... As per the predictions of the weather… pic.twitter.com/MV52Fyugug
— ANI (@ANI) November 21, 2023
पंजाब के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार पूसा के साथ मिलकर बायो डीकंपोजर का इस्तेमाल कर रही है. बायो डिकंपोजर के छिड़काव से पराली अपशिष्ट नष्ट होता है. उन्होंने कहा कि पंजाब में बायो डिकंपोजर का उपयोग करने के लिए पूसा के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं. डिकंपोजर को पराली नष्ट करने में 18 से 20 दिन लगते हैं. पंजाब के अंदर पानी का संकट बढ़ रहा है उसकी वजह से फसल बुवाई का समय आगे बढ़ाया गया है. ऐसे में किसान को फसल कटाई के बाद तुरंत बुवाई करनी है. इस वजह से पंजाब में इसके इस्तेमाल में दिक्कत आ रही है. बायो डिकंपोजर की क्षमता 10 दिन में पराली को नष्ट करने वाली बनाने के लिए पूसा के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं. गोपाल राय ने कहा कि बायो डिकंपोजर के छिड़काव के लिए किसानों से कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता है.
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