प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वाराणसी में कृषि सखियों के रूप में 30,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों को प्रमाण पत्र जारी करेंगे. इसके साथ ही इन कृषि सखियों के लिए खेती-किसानी में रोजगार के लिए अवसर भी खुल जाएंगे. ये कृषि सखी अपनी कौशल और ट्रेनिंग के बदौलत साल में अच्छी कमाई कर सकती हैं. केंद्र सरकार को उम्मीद है कि उसकी इस पहल से महिलाओं को रोजगार मिलेगा और वे आत्मनिर्भर बनेंगी.
दरअसल, कृषि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और योगदान को महसूस करते हुए ग्रामीण महिलाओं के कौशल को बढ़ावा देने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पिछले साल 30 अगस्त को एक MOU पर हस्ताक्षर किए थे. इस MOU के तहत कृषि सखी सर्टिफिकेशन कार्यक्रम एक महत्वाकांक्षी पहल है.
‘लखपति दीदी’ कार्यक्रम के तहत 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. उसी का एक आयाम है कृषि सखी. कृषि सखी सर्टिफिकेशन कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि सखियों को प्रशिक्षण और सर्टिफिकेट देने के साथ-साथ 'कृषि सखी' को कृषि पैरा-एक्सटेंशन सहायक बनाना है. कृषि सखी सर्टिफिकेशन कार्यक्रम 'लखपति दीदी' कार्यक्रम के उद्देश्यों को भी पूरा करता है. खास बात यह है कि कृषि सखियों को कृषि पैरा-एक्सटेंशन कार्यकर्ता प्रशिक्षिण के लिए भी चुना गया है, क्योंकि वे विश्वसनीय सामाजिक कार्यकर्त्ता और अनुभवी किसान हैं. कृषक समुदाय की उनकी गहरी समझ के कारण ही इस समुदाय में उनका स्वागत और सम्मान भी किया जाता है.
प्रशिक्षण के बाद, कृषि सखियां एक दक्षता परीक्षा देंगी. जो सखियां उत्तीर्ण होंगी, उन्हें पैरा-विस्तार कार्यकर्ता के रूप में प्रमाणित किया जाएगा, जिससे वे निर्धारित संसाधन शुल्क पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं की गतिविधियां करने में सक्षम होंगी. औसत कृषि सखी एक वर्ष में 60 हजार से 80 हजार रुपये तक कमा सकती हैं.आज तक 70,000 में से 34,000 कृषि सखियों को पैरा-विस्तार कार्यकर्ता के रूप में प्रमाणित किया जा चुका है. वर्तमान में कृषि सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और मेघालय में चल रहा है.
वर्तमान में MOVCDNER (पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन) की योजना के तहत 30 कृषि सखियां Local Resource Person (LRP) के रूप में काम कर रही हैं, जो हर महीने में एक बार प्रत्येक खेत पर जाकर कृषि गतिविधियों की निगरानी करती हैं और किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझती हैं. वे किसानों को प्रशिक्षित करने, किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों, (FPO) के कामकाज एवं विपणन गतिविधियों को समझने और किसान डायरी रखने के लिए हर हफ्ते किसान हित समूह (FIG) स्तर की बैठकें भी आयोजित करती हैं. उन्हें उल्लिखित गतिविधियों के लिए प्रति माह 4500 रुपये का संसाधन शुल्क मिल रहा है.
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