सरकार की ओर से किसानों की सहायता के लिए तमाम अलग-अलग योजनाएं चलाई जाती हैं. इन योजनाओं से किसानों को कई प्रकार से लाभ मिलता है. इन्हीं में से एक स्कीम है पीएम फसल बीमा योजना जिसे भारत सरकार की ओर से किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए चलाया जा रहा है. और देश के किसान इस योजना का लाभ उठाने के लिए तेजी से जुड़ते जा रहे हैं. दरअसल साल 2023-24 के दौरान इस योजना में आवेदकों की संख्या में 27 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
साथ ही बीते दिनों हुई बेमौसम बारिश के हरियाणा सहित कई राज्यों में किसानों के फसलों का नुकसान हुआ है. वहीं फसल बीमा योजना के तहत किसानों को हर 100 रुपये के प्रीमियम भुगतान के लिए दावे के रूप में लगभग 500 रुपये का भुगतान किया गया है. साथ ही पिछले 8 वर्षों में पीएम फसल बीमा योजना के तहत 23.22 करोड़ से अधिक किसानों के क्लेम को मंजूर किया गया है.
वहीं बीते कुछ दिनों पहले देश के कई राज्यों में हुए बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से इस आंकड़ों में और भी बढ़ोतरी हो सकती है. साथ ही हरियाणा में बीते दिनों आई ओलावृष्टि और बारिश से गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है. गेहूं की फसल के साथ ही सरसों और सब्जियों मे भी भारी नुकसान हुआ है. इसमें सोनीपत और खरखोदा के 58 गांव की 46 हजार एकड़ लगी फसल सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. वहीं सरकार ने 15 मार्च तक किसानों को अपनी नुकसान हुई फसलों का पोर्टल पर ब्यौरा अपलोड करने को कहा है.
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पीएम फसल बीमा योजना देशभर के किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए एक बेहतर स्कीम है, जिसके तहत किसानों की फसलों के नुकसान की भरपाई की जाती है. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के आवेदनों की संख्या जारी की है, जिसमें आंकड़ों के अनुसार 2021-22 में किसानों के आवेदनों की संख्या सालाना आधार पर 33.4 फीसदी बढ़ी थी, जबकि 2022-23 के दौरान आवेदकों की संख्या में 41 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. वहीं वर्ष 2023-24 में अब तक योजना के तहत किसानों के आवेदनों की संख्या में 27 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है.
पीएम फसल बीमा योजना के तहत बीमा की हुई फसलों में प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कवर किया जाता है. इनमें फसल बुवाई से कटाई में सूखा, बाढ़, कीट, प्राकृतिक आग और बिजली का गिरना, तूफान, ओलावृष्टि, चक्रवात से होने वाले उपज में नुकसान के लिए मुआवजा उपज आंकड़ों के आधार पर दिया जाता है. वहीं फसल कटाई के बाद सूखने के लिए खेत में काटकर फैलाकर छोड़ी गई फसल को चक्रवात, चक्रवाती वर्षा, असामयिक वर्षा और ओलावृष्टि से व्यक्तिगत आधार पर हुए नुकसान के लिए कटाई के बाद अधिकतम 14 दिन के लिए बीमा में कवर किया जाता है.
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