भारत में लगभग 60 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है. वही, तकनीक के इतने विकास के बाद भी ज्यादातर किसान वर्षा आधारित कृषि पर निर्भर रहते हैं. ऐसे में कई बार अचानक होने वाली भारी बारिश, सूखा, तूफान या किसी अन्य तरह की प्राकृतिक आपदा की वजह से फसलों के खराब होने का खतरा बना रहता है. इसका पूरा नुकसान किसानों को उठाना पड़ता है. इन्हीं समस्याओं के मद्देनजर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की गई है, जो इस स्थिति में उनको वित्तीय सहायता प्रदान करती है. हालांकि, इसके लिए किसानों को प्रीमियम देना पड़ता है. वहीं ओडिशा के किसानों को अब अगले तीन सालों तक फसल बीमा का प्रीमियम अब नहीं देना पड़ेगा.
दरअसल, टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण और सहकारिता मंत्री अतनु सब्यसाची नायक ने कहा कि सरकार ने 2023 से 2026 तक यानी तीन साल के लिए फसल बीमा प्रीमियम में किसानों का हिस्सा वहन करने का फैसला किया है. उन्होंने आगे कहा कि किसानों के वित्तीय हालत को मजबूत करने के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर कृषि लोन देने के बाद यह एक अनूठा कदम है.
किसान वर्तमान में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत कुल प्रीमियम का 2 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान करते हैं, जो लगभग 626 रुपये प्रति एकड़ है. बाकी राज्य और केंद्र द्वारा समान रूप से साझा किया जाता है. वही ओडिशा सरकार खरीफ सीजन 2023 से लेकर 2026 के रबी सीजन तक किसान का हिस्सा वहन करेगी.
बारिश, तापमान, पाला, नमी आदि जैसी स्थिति में किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान होता है. इससे बचने के लिए किसान को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत बहुत कम पैसे या प्रीमियम देकर अपनी फसल का बीमा करवाने की सुविधा मिलती है. बीमा कवरेज के तहत अगर बीमित फसल खराब हो जाती है तो इसकी पूरी भरपाई बीमा कंपनी द्वारा की जाती है.
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नायक ने इसे सरकार की बड़ी उपलब्धि बताया कि खाद्य सुरक्षा योजना से कोई भी पात्र व संकटग्रस्त व्यक्ति छूटा नहीं है. उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों में सीमांत किसानों की संख्या में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और छोटे किसानों की संख्या में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो सरकार को धान बेच रहे हैं और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का लाभ प्राप्त कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों में, 35 प्रतिशत से अधिक किसानों (5 लाख) ने अपना सरप्लस धान बेचने के लिए सरकार के पास रजिस्ट्रेशन कराया है. उन्होंने कहा, "सरकार 24 से 48 घंटों के भीतर किसानों को एमएसपी का भुगतान सुनिश्चित कर रही है, जो देश में सबसे तेज है."
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इससे पहले सीएम नवीन पटनायक ने अपने 20 मंत्रिस्तरीय सहयोगियों को पत्र लिखकर उनके अधीन प्रत्येक विभाग की पांच सबसे बड़ी उपलब्धियों से अवगत कराया था. सीएम नवीन पटनायक ने 22 मई से 1 जून तक 10 दिनों के लिए अपना मूल्यांकन अभ्यास निर्धारित किया है.
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