हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने रविवार को पशुपालकों के साथ मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार किसानों और पशुवालकों की इनकम बढ़ाने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही हैं. किसानों को आगे आकर इन योजना का लाभ उठाना चाहिए. उनकी माने तो किसानों और पशुपालकों की कमाई बढ़ने पर ही राज्य का विकास संभव है. सीएम सुक्खू ने कहा कि सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कृषि को एक उद्योग के रूप में प्रोत्साहित कर रही है.
सुक्खू ने कहा कि कृषि और दुग्ध उत्पादन के बीच सीधा संबंध है और बड़े पैमाने पर प्राकृतिक और जैविक खेती को अपनाना जरूरी है, जिससे पारंपरिक कृषि तकनीकों को आधुनिक प्रौद्योगिकियों के साथ जोड़ा जा सके. उन्होंने कहा कि पशुपालन को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान देने के साथ हम कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने का इरादा रखते हैं. इससे किसानों की इनकम जरूर बढ़ेगी.
उन्होंने कहा कि किसानों की सृद्धि सुनिश्चित करने के लिए नीतियों और नियमों में बुनियादी बदलाव किए जा रहे हैं, ताकि योजनाओं की राशि सीधे किसानों तक पहुंचे. उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार दूध उत्पादकों को कर रियायतें देने पर भी विचार करेगी. उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में दूध की गुणवत्ता कहीं बेहतर थी और इसके विपणन के लिए प्रयास किए जा रहे थे. इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी. उन्होंने कहा कि कृषि एक रोजगारोन्मुख उद्योग बनेगी और शोषण को रोका जा सकेगा.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 500 करोड़ रुपये की 'हिम गंगा योजना' चलाई जा रही है. इसे दूध आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के रूप में देखा जा रहा है. कांगड़ा जिले के धगवार में 226 करोड़ रुपये की लागत से 1.5 लाख लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाला दूध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया जाएगा और उत्पादन 3 लाख लीटर प्रतिदिन तक बढ़ाया जाएगा.
प्लांट स्थापित करने के लिए भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना के दूसरे चरण के तहत ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए किसानों की अप्रयुक्त भूमि का उपयोग सौर संयंत्र स्थापित करने के लिए किया जाएगा. इस दौरान सीएम ने एक खुले संवाद सत्र में किसानों के साथ व्यापक चर्चा की और किसानों और अन्य हितधारकों से प्राप्त सुझावों को अपने नीति दस्तावेज में शामिल करने का आश्वासन दिया.
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