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पराली प्रबंधन से किसानों ने कमा लिए 60 करोड़ रुपये, अगले साल के लिए राज्य सरकार ने अभी से बनाया ये प्लान

पराली प्रबंधन से किसानों ने कमा लिए 60 करोड़ रुपये, अगले साल के लिए राज्य सरकार ने अभी से बनाया ये प्लान

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप कृषि निदेशक डॉ. वजीर सिंह ने कहा कि अगले साल पराली जलाने के मामले शून्य स्तर पर करने के लिए पूरी ताकत के साथ फील्ड में टीमों को उतारा जाएगा. उन्होंने कहा कि किसानों को धान कटाई से पहले ही पराली प्रबंधन के तरीकों की जानकारी दी जाएगी. 

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हरियाणा के किसानों ने पराली प्रबंधन करने में रुचि दिखा रहे हैं. हरियाणा के किसानों ने पराली प्रबंधन करने में रुचि दिखा रहे हैं.

हरियाणा के किसानों ने पराली प्रबंधन करने में रुचि दिखा रहे हैं. यही वजह है कि राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है. इतना ही नहीं पराली प्रबंधन करके करनाल जिले के किसानों ने 60 करोड़ रुपये कमा लिए हैं. कृषि उप निदेशक ने बताया कि किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान और प्रबंधन से होने वाले फायदे बताने के लिए 600 टीमों को लगाया गया था, जिनकी मेहनत रंग लाई है. उन्होंने कहा कि अगले सीजन में धान कटाई से पहले ही किसानों को पराली प्रबंधन की जानकारी और बताए बताए जाएंगे ताकि पराली जलाने की घटनाओं का आंकड़ा शून्य रखा जा सके. 

प्रदूषित पर्यावरण ने सभी को झकझोर कर रख दिया है. बीते कुछ समय से शुद्ध हवा नसीब होना मुश्किल हो गया था. इन सबके बीच करनाल प्रशासन की टीमें किसानों के बीच जाकर जागरूकता का संदेश फैला रही हैं. नतीजन किसानों ने आपसी समझदारी दिखाते हुए फसल अवशेष प्रबंधन के तरीके तेजी से अपनाने शुरू किए. जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं, जिन्हें देखकर प्रशासनिक अधिकारी खुश हो सकते हैं. कृषि विभाग से मिले आकड़ों पर गौर करें तो किसानों ने फसल अवशेष प्रबंधन के तरीके अपनाकर 60 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आमदनी अर्जित की, जो किसानों के लिए एक बहुत बड़ी राशि हैं.

किसानों को जागरूक करने में लगी थी 600 टीमों 

करनाल में किसान फसल अवशेष प्रबंधन के तरीके अपनाने लगे हैं और इसके जरिए उन्होंने ने कमा लिए 60 करोड़ रुपए कमाए हैं. यह कमाई पराली की बिक्री करके की गई है. कृषि उप निदेशक डॉक्टर वजीर सिह ने जानकारी देते हुए कहा किसानों की जागरूकता के कारण पराली जलाने की घटना पिछले साल के मुकाबले भी कम हुई हैं. किसानों को जागरूक करने के लिए जिला प्रशासन की 600 के करीब टीमें काम कर रही थीं. 

पराली प्रबंधन पर 1000 रुपये प्रति एकड़ देती है सरकार 

जिले में जिन किसानों ने पराली में आग नहीं लगाई, ऐसे करीब 1 लाख 80 हजार एकड़ के लिए किसानों ने सरकार की योजना का लाभ उठाने के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अप्लाई किया हैं, जिन्हें सरकार की ओर से 1000 रुपये प्रति एकड़ की राशि उपलब्ध कराई जाएगी. इसके अलावा जिले में कार्यरत औद्योगिक ईकाईयों ने किसानों से सीधे तौर पर करीब साढ़े 3 लाख एमटी पराली खरीदी, जो पराली की बहुत बड़ी मात्रा हैं. इसके अलावा जिले में नए डिपो बने, नए किसान ओर नए एग्रीगेटर आए, जिन्होंने पराली प्रबंधन में काफी अच्छा काम किया. जबकि, सरकार की योजनाओं ने काफी लाभ पहुंचाया है, जिसके नतीजे में पराली जलाने के मामलों में पिछले साल की अपेक्षा काफी कमी दर्ज की गई.

अगले सीजन में कटाई से पहले ही लग जाएंगी टीमें 

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप कृषि निदेशक डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि पिछले साल 126 मामले दर्ज किए गए थे. जबकि, इस साल 94 मामले सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि किसान तेजी से फसल अवशेष प्रबंधन के तरीकों को अपना रहे हैं, जो उनके लिए फायदेमंद भी हो रहा है. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि अगले साल पराली जलाने के मामले शून्य स्तर पर करने के लिए पूरी ताकत के साथ फील्ड में टीमों को उतारा जाएगा. उन्होंने कहा कि किसानों को धान कटाई से पहले ही पराली प्रबंधन के तरीकों की जानकारी दी जाएगी. 

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