प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनाकेंद्र सरकार किसानों को समय पर फसल बीमा का लाभ दिलाने और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) को ज्यादा पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने के लिए लगातार आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रही है. सरकार का मकसद है कि किसानों को बीमा दावों के लिए भटकना न पड़े और नुकसान की भरपाई सीधे और समय पर उनके बैंक खातों में पहुंचे. सरकार ने इसमें पारदर्शिता लाने आधुनिक तकनीकी को अपनाने और दावों का समय पर निपटान सुनिश्चित करने के लिए और भारत में इस योजना के कार्यान्वयन की मजबूती के लिए कई सारे कदम उठाए हैं. साथ ही फसल बीमा क्लेम के भुगतान भी पिछले तीन सालों में बढ़े हैं.
सरकार ने PMFBY के बेहतर क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) विकसित किया है. यह एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो योजना से जुड़ी सभी सेवाओं के लिए एकल डेटा स्रोत के रूप में काम करता है. इसके जरिए:
दावों के निपटान को तेज और पारदर्शी बनाने के लिए खरीफ 2022 से ‘डिजिक्लेम मॉड्यूल’ शुरू किया गया है. इस मॉड्यूल में NCIP को पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम (PFMS) और बीमा कंपनियों की लेखा प्रणालियों से जोड़ा गया है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि किसानों के सभी दावों का भुगतान समय पर और बिना किसी गड़बड़ी के हो सके. सरकार ने तकनीक के जरिए फसल नुकसान के आकलन को भी मजबूत किया है. CCE-एग्री ऐप के माध्यम से फसल कटाई प्रयोग (CCE) का डेटा मोबाइल से ही दर्ज किया जाता है. यह डेटा सीधे NCIP पर अपलोड किया जाता है. बीमा कंपनियों को CCE की प्रक्रिया देखने की अनुमति दी गई है. राज्य के भूमि रिकॉर्ड को भी NCIP से जोड़ा गया है. इन कदमों से फर्जी दावों पर रोक लगी है और सही किसानों को सही समय पर लाभ मिल रहा है.
सरकार का मानना है कि तकनीक के साथ-साथ किसानों को योजना की सही जानकारी देना भी जरूरी है. इसके लिए राज्यों, बीमा कंपनियों, बैंकों और कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) नेटवर्क के जरिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. खरीफ 2021 से हर साल ‘फसल बीमा सप्ताह’ मनाया जा रहा है. इसके अलावा गांव और पंचायत स्तर पर ‘फसल बीमा पाठशालाएं’ आयोजित की जाती हैं, जहां किसानों को योजना की पूरी जानकारी दी जाती है. इसके अलावा सरकार ने देशभर में ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ महाअभियान भी चलाया. इसके तहत गांवों में विशेष शिविर लगाकर PMFBY से जुड़े किसानों को उनकी फसल बीमा पॉलिसी और रसीद की हार्ड कॉपी दी गई, ताकि किसानों को यह भरोसा रहे कि उनका बीमा हुआ है.
सरकार ने बताया कि 2022-23 से 2024-25 के बीच केंद्र सरकार ने प्रीमियम सब्सिडी पर बड़ी राशि खर्च की है और इसी अवधि में किसानों को बड़े पैमाने पर बीमा दावों का भुगतान किया गया है. पिछले तीन वर्षों यानी 2022-23 से 2024-25 तक के बजटीय प्रावधान और उपयोग की गई धनराशि का विवरण नीचे दिया गया है:
| वर्ष | बजट अनुमान (₹ करोड़) |
संशोधित अनुमान (₹ करोड़) |
वास्तविक रिलीज/व्यय (₹ करोड़) |
| 2022-23 | 15,500.00 | 12,375.76 | 10,296.03 |
| 2023-24 | 13,625.00 | 15,000.00 | 12,948.50 |
| 2024-25 | 14,600.00 | 15,864.00 | 14,772.86 |
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