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लीची के लिए बेहद खास है अप्रैल का महीना, किसान करना न भूलें 9 काम

लीची के लिए बेहद खास है अप्रैल का महीना, किसान करना न भूलें 9 काम

बिहार के बागवानों के लिए बिहार कृषि विभाग ने अप्रैल महीने में लीची के पौधे में किए जाने वाले कामों की एडवाइजरी जारी की है. इसमें विभाग ने अप्रैल महीने में बागान में क्या करें उसके 9 पॉइंट के बारे में बताया है. इसे पढ़कर किसान आसानी से समझ सकते हैं कि अच्छी पैदावार के लिए क्या करना है.

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लीची के लिए बेहद खास है अप्रैल का महीना लीची के लिए बेहद खास है अप्रैल का महीना

लीची ऐसा फल है जो अपने आकर्षक रंग, स्वाद और क्वालिटी के लिए लोकप्रिय है. ये बहुत ही रसीला फल होता है. लीची का फल लाल छिलकेदार होता है जिसमें सफेद रंग का गूदा होता है, जो स्वाद में मीठा और स्वादिष्ट होता है. गर्मी के दिनों में लोग इस फल को काफी चाव से खाते हैं. लीची के फलों का उपयोग सीधे तौर पर खाने के अलावा अनेक प्रकार की चीजों को बनाने के लिए भी किया जाता है. लीची के फलों से जैम, जेली और शरबत आदि बनाया जाता है. बाजारों में भी लीची की बहुत अधिक मांग रहती है, जिस वजह से किसान लीची की बागवानी करना पसंद करते हैं.

ऐसे में बिहार के बागवानों के लिए बिहार कृषि विभाग ने अप्रैल महीने में लीची के पौधे में किए जाने वाले कामों की एडवाइजरी जारी की है. इसमें विभाग ने अप्रैल महीने में बागान में क्या करें, उसके 9 पॉइट के बारे में बताया है. आइए जानते हैं क्या हैं वो 9 बातें.

ये हैं वो 9 काम 

1. अगर लीची की शाही किस्म में फल लग चुके हैं और फल लौंग के आकार के हो गए हैं तो बागान से किसान मधुमक्खी के बक्सों को हटा दें. चाईना किस्म में यदि फल नहीं लगे हैं तो मधुमक्खी के बक्सों को फल लगने तक बाग में ही रहने दें.

2. यदि आपके लीची का फल लौंग के आकार का हो गया है तो बागान में हल्की सिंचाई कर दें.

3. साथ ही फल अगर लौंग के आकार का हो गया हो तो 8 से 12 वर्ष के पौधों में 350 ग्राम यूरिया और 250 ग्राम पोटेशियम सल्फेट डालें. 15 वर्ष के ऊपर के पौधों में 450 से 500 ग्राम यूरिया और 300 से 350 ग्राम पोटेशियम सल्फेट डालें. इसके अलावा किसान ध्यान ये दें कि उर्वरकों का प्रयोग बागान में नमी होने पर ही करें. वहीं खाद डालते समय 1 मीटर गहरा और 15 सेंटीमीटर चौड़ा गहरी नाली बनाकर खाद का उपयोग करें.

4. लीची के मंजर को झुलसा और अन्य रोगों से बचाने के लिए कवकनाशी थायोफेनेट मिथाइल 70 फीसदी और डब्ल्यूपी 2 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव करें. साथ ही कवकनाशी दवा को कीटनाशक दवा के साथ मिलाकर छिड़काव करें.

5. फलों के पकने तक बाग में सिंचाई का बेहतर प्रबंधन करें, ध्यान रखें की नमी बनी रहे.

6. लीची के फलों को बेधक कीट से बचाव के लिए थीयाक्लोप्रिड को 6 लीटर पानी में दवा का घोल बनाकर हर दो दिन में छिड़काव करें. ध्यान रखें कि दवा का छिड़काव फलों के लौंग के आकार के होने के बाद ही करें.

7. लीची के फलों को झड़ने से रोकने के लिए फल लगने के 7 से 10 दिन बाद प्लानोफिक्स का घोल बनाकर छिड़काव करें. वहीं 15 दिन के बाद दूसरा छिड़काव करें.

8. फलों को फटने की समस्या से रोकने के लिए फलों के लौंग के आकार के हो जाने के बाद पौधों में बोरेक्स और जल में घुलनशील बोरॉन को 4 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें, बोरेक्स की सही मात्रा का इस्तेमाल करें नहीं तो नुकसान हो सकता है.

9. बेहतर क्वालिटी के फल लेने के लिए फल लगने के 20 से 25 दिन बाद गुलाबी और सफेद रंग के नोन वुवन पॉलीप्रोपाइलीन बैग से लीची के गुच्छों को ढंक दें.