केंद्र सरकार छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए पीएम किसान के बाद एक और बेहतरीन योजना शुरू करने जा रही है. इस योजना के शुरु होते ही देश के करोड़ों किसानों को सीधा फायदा पहुंचेगा. इस योजना के लॉन्च होते ही कम जोत वाले किसान अपनी उपज को लंबे समय तक भंडारित कर सकेंगे. वहीं, मंडियों में व्यापारियों का एकाधिकार भी टूटेगा और किसान अपने उत्पाद को उचित रेट पर बेच पाएंगे. इससे उन्हें खेती में नुकसान नहीं, बल्कि अच्छा मुनाफा होगा.
द हिंदू बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने वाली इस स्कीम का नाम पीएम-किसान भाई (भंडारण प्रोत्साहन) योजना रख सकती है. केंद्र सरकार का मानना है कि छोटे और सीमांत किसान अपनी उपज को गोदामों में स्टॉक नहीं कर पाते हैं. साथ ही उपज की बेहतर कीमत मिलने का लंबे समय तक इंतजार भी नहीं करते हैं. फसल कटाई के तुरंत बाद व्यापारी अधिकांश छोटे किसानों से औने- पौने दाम पर उनकी उपज को खरीद लेते हैं. ऐसे में किसानों को लागत के मुकाबले अच्छा मुनाफा नहीं होता है. साथ ही कई बार आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है. इन्हीं परेशानियों को दूर करने के लिए सरकार ने पीएम-किसान भाई योजना शुरू करने का प्लान बनाया है.
कहा जा रहा है कि सरकार को इस योजना से फसलों की कीमतें तय करने वाले व्यापारियों के एकाधिकार को तोड़ने में काफी मदद मिलेगी. साथ ही इस योजना के शुरू होते ही किसान कटाई के बाद कम से कम अपनी फसल का तीन महीने तक भंडारण कर सकते हैं. इस दौरान जैसे ही मार्केट में अच्छा रेटा मिलेगा, वे अपनी उपज को बेच देंगे. दरअसल, पीएम-किसान भाई (भंडारण प्रोत्साहन) योजना किसानों को फसल बेचने का अधिकार देगा. किसान अपनी मर्जी से फसल बेच सकेंगे. वहीं, अभी जो व्यवस्था है, उसमें किसान को फसल की कटाई करने के तुरंत बाद मजबूरी में बेचना पड़ता है. वहीं, व्यापारी किसानों से खरीदारी करने के बाद उपज को स्टॉक कर देते हैं और दो से तीन महीने के बाद ऑफ-सीजन में मोटी रकम पर बेचते हैं, जिससे महंगाई भी बढ़ जाती है.
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इस योजना के वेयरहाउसिंग रेंटल सब्सिडी (डब्ल्यूआरएस) और पीआरआई दो घटक हैं. डब्ल्यूआरएस के तहत छोटे और सीमांत किसानों को गोदाम में फसल स्टॉक करने के लिए हर महीने 4 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी दी जाएगी. ऐसे में किसान अपने सब्सिडी पर अपनी उपज को गोदाम में भंडारित कर पाएंगे और मार्केट में उचित रेट मिलते ही उसे बेच देंगे. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि किसानों को वेयरहाउसिंग रेंटल सब्सिडी केवल तीन महीने के लिए ही मिलेगी. साथ ही 15 दिन या उससे कम समय के लिए भी अपनी उपज को स्टॉक करने वाले किसान सब्सिडी का लाभ नहीं उठा पाएंगे. वहीं, भंडारण प्रोत्साहन की गणना दिन-प्रतिदिन के आधार पर की जाएगी.
वहीं, पीआरआई के तहत सरकार किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना के तहत ब्याज पर 3 प्रतिशत अतिरिक्त छूट दे सकती है, ताकि किसान अपनी उपज को गोदाम में स्टॉक कर सकें और रियायती ब्याज दर पर लोन प्राप्त कर सकें. इसमें कहा गया है कि सभी केसीसी धारक किसान पंजीकृत गोदामों में अपनी उपज का भंडारण करने, ईएनडब्ल्यूआर के खिलाफ डिजिटल वित्त का लाभ उठाने और ईएनएएम के माध्यम से व्यापार करने पर तीन महीने के लिए 3 प्रतिशत कम ब्याज दर पर त्वरित पुनर्भुगतान प्रोत्साहन के पात्र होंगे.
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