भारत में घरों में रंग-बिरंगी मछलियां पालने का चलन काफी पुराना है, लेकिन यह चलन अब और तेजी से बढ़ रहा है. खासकर शहरों में तो लोग साज-सजावट के लिहाज से एक्वेरियम में तरह-तरह की रंग-बिरंगी मछलियां पालते हैं. इसका वैश्विक बाजार बहुत बड़ा है. ग्लोबल लेवल यह इंडस्ट्री 10 अरब डॉलर से ज्यादा की है. वहीं, यह सालाना 10 प्रतिशत की औसत दर से आगे बढ़ रही है. रंगीन मछली के व्यापार में भारत का हिस्सा 1 प्रतिशत से भी कम है.
यही वजह है कि केंद्र सरकार व्यवसायिक तौर पर रंगीन मछलियों के पालन को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए सरकार सब्सिडी भी दे रही है. व्यवसायिक तौर रंगीन मछली पालने के लिए ट्रेनिंग जरूरी है. रंग बिरंगी मछली पालन के लिए केंद्र सरकार पीएम मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) योजना चला रही है.
इस योजना के तहत बैकयार्ड ऑर्नामेंटल मछली पालन यूनिट पर 3 लाख रुपये अनुदान, मध्यम आकार की ऑर्नामेंटल मछली पालन यूनिट पर 8 लाख रुपये और समाकलित ऑर्नामेंटल मछली पालन केंद्र और पालन यूनिट पर 25 लाख रुपये पर सब्सिडी दी जा रही है. रंगीन मछली पालन के प्रजनन यूनिट्स लगाने के लिए 50 फीसदी सब्सिडी दी जा रही है.
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बता दें कि दुनिया में रंगीन मछलियों की लगभग 2500 प्रजातियां हैं. इनमें से 60 प्रतिशत से ज्यादा प्रजातियां मीठे पानी में पलती हैं. गोल्डफिश, लाइवबीअरर्स, एंजेल मछली, टेट्रा, डिस्कस और जेबरा डानियो समेत लगभग 30 प्रकार की मछलियां ग्लोबल मार्केट में मुख्य स्थान रखती हैं. रंगीन मछली पालन के लिए ये चीजें जरूरी...
व्यवसाय की शुरूआत के लिए सबसे पहले बच्चे देने वाली मछलियों का प्रजनन और पालन करना चाहिए. बाद में बाजार की मांग देखते हुए अंडे देनेवाली मछलियों को का पालन फायदेमंद साबित हो सकता है. मछलियों के खाने के लिए मूंगफली की खल, सोयाबीन की खल, चावल का भूसा और झींगा मछली के सिर से तैयार फिश फूड जरूरी है. बेहतर प्रजनन और पालन के रोग मुक्त व्यस्क नर और मछलियां का चयन जरूरी है.
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