देश में मोटे अनाज की खेती अब जोर-शोर से हो रही है. उसके लिए केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक हर स्तर पर किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. बिहार के कम बारिश वाले क्षेत्रों के किसानों को भी अब मोटे अनाज की खेती के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके लिए राज्य सरकार गया जिला के टनकुप्पा में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस यानी विशिष्ट केंद्र का निर्माण करेगी. निर्माण के लिए 52 एकड़ जमीन चिन्हित कर ली गई है. जल्द ही प्रदेश के मुख्यमंत्री औऱ उप-मुख्यमंत्री इसका शिलान्यास करेंगे.
इसकी जानकारी प्रदेश के कृषि मंत्री कुमार सर्वजित ने गुरुवार को विकास भवन स्थित कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए दी. उन्होंने कहा कि मोटे अनाज के लिए बनने वाली सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का डीपीआर बन रहा है. यह देश के सर्वश्रेष्ठ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में से एक होगा.
मोटे अनाज की खेती करने के लिए यहां किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. वहीं कम पानी में बेहतर सिंचाई औऱ तालाब का मॉडल भी बताया जाएगा. साथ ही ज्वार, बाजरा, रागी और मक्का की फसल लगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी किया जाएगा.
कुमार ने बताया कि बंजर जमीन को बीज उत्पादन के लिए पीपीपी मोड पर देने की योजना पर भी काम चल रही है. वहीं चौथे कृषि रोड मैप में राज्य में पांच सेटर ऑफ एक्सीलेंस को मंजूरी दी गई है. उन्होंने बताया कि वैशाली के राघोपुर में पान का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनेगा. इसी तरह दरभंगा में मखाना, किशनगंज में चाय और बांका में शहद का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनेगा.
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मोटे अनाज के कई स्वास्थय लाभ भी हैं. इसका सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं, पाचन क्रिया मजबूत होती है. वहीं मोटे लोगों के लिए वजन कम करने में भी मदद मिलती है. साथ ही इसे अपने आहार में शामिल करने से रक्त की कमी होने की समस्या भी खत्म हो जाती है. वहीं सबसे खास बात ये है कि ये डायबिटीज रोगियों के लिए भी काफी फायदेमंद है.
मोटे अनाज अपने पोषक तत्वों की वजह से काफी मशहूर हैं. मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष मना रही है. मोटे अनाज में आठ अनाजों को जोड़ा गया है. जिसमें बाजरा, ज्वार, रागी, कंगनी, कुटकी, कोदो, सवां और चेना शामिल हैं. ये अनाज मानव शरीर के लिए काफी गुणकारी हैं.
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