खेती में बेहतर क्वालिटी और प्रमाणित बीज का काफी महत्व है. अच्छे बीज से जहां फसलों का उत्पादन बढ़ता है वहीं पैदावार अधिक होने से किसानों की आमदनी भी बढ़ती है. इस कड़ी में बिहार सरकार राज्य में क्वालिटी युक्त प्रमाणित बीज के उत्पादन पर जोर दे रही है. रबी सीजन 2024-25 के लिए बिहार में 3.50 लाख क्विंटल गेहूं प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए 21 जिलों को चुना गया है. इस पहल के तहत अच्छे क्वालिटी वाले बीजों के उपयोग से फसलों की 20 प्रतिशत तक अधिक पैदावार हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है.
कृषि विभाग की ओर से राज्य में संकर (हाइब्रिड) बीज उत्पादन का काम इसी साल शुरू किया जा रहा है. इससे बिहार के किसानों को यहीं उत्पादित गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराए जा सकेंगे. वहीं, राज्य में बीज उत्पादन बढ़ने से किसानों को दो तरह से फायदा होगा. पहला यह कि किसानों को अनाज उगाने से ज्यादा भाव बीज उगाने के लिए मिलेगा. दूसरा लाभ ये कि किसानों को राज्य के जलवायु परिवेश में उगाया गया प्रमाणित गेहूं बीज कम भाव पर मिलेगा. ऐसा होने से किसान आर्थिक रूप से मजबूत होंगे.
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राज्य में प्रमाणित गेहूं बीज को बढ़ावा देने के लिए किसानों को 80 प्रतिशत सब्सिडी पर आधार बीज की उपलब्धता बिहार राज्य बीज निगम के माध्यम से की गई है. प्रमाणित गेहूं बीज उगाने वाले किसानों से बिहार राज्य बीज निगम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से 25 से 30 प्रतिशत अधिक मूल्य पर 100 प्रतिशत बीज खरीदेगा. वहीं, राज्य में 8,750 क्विंटल गेहूं का आधार बीज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और कृषि विश्वविद्यालयों से मंगाया जा रहा है और 6000 क्विंटल आधार बीज पहले से ही अलग-अलग योजनाओं के अंतर्गत मंगाया जाता रहा है.
इस तरह किसानों के बीच मुफ्त बांटने के लिए 14750 क्विंटल आधार बीज उपलब्ध होगा. इस प्रकार 3.5 लाख क्विंटल बीज उत्पादन हो जाएगा. अभी राज्य में 12 लाख क्विंटल गेहूं बीज की जरूरत है, लेकिन अगले कुछ वर्षों में बिहार बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएगा और अन्य राज्यों को भी बीज उपलब्ध कराया जाएगा.
प्रमाणित गेहूं बीज के लिए चुने गए 21 में से 15 जिलों में, मधुबनी, सारण सीतामढ़ी, पूर्वी चम्पारण, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, वैशाली, गोपालगंज, सिवान, शेखपुरा, भोजपुर, अरवल, जमुई, बांका और मुंगेर में गेहूं बीज उत्पादन कार्य सामान्य किसानों के माध्यम से किया जाएगा. वहीं, 6 जिलों- दरभंगा, बक्सर, नवादा, जहानाबाद, पटना और लखीसराय कृषक उत्पादक संघ (एफपीओ) के माध्यम से किया जाएगा.
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