बिहार फल और सब्जी उत्पादन में देश के टॉप टेन राज्यों में शामिल है. फिर भी प्रदेश के करीब 40 प्रतिशत जिलों में आज भी कोल्ड स्टोरेज की सुविधा उपलब्ध नहीं है. इसके चलते किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है. वहीं राज्य में कोल्ड स्टोरेज की संख्या कैसे बढ़ाई जाए और किसान से लेकर व्यापारियों को नुकसान से किस तरह बचाया जाए, इसके लिए कृषि मंत्री मंगल पांडेय और विभाग के सचिव संजय अग्रवाल ने पटना कृषि भवन में बुधवार को कोल्ड स्टोरेज मालिकों के साथ विस्तृत चर्चा की. कृषि मंत्री ने इससे जुड़ी जानकारी देते हुए कहा कि इस चर्चा में कोल्ड स्टोरेज के विकास और इसकी संख्या बढ़ाने को लेकर विस्तृत चर्चा की गई. वहीं सूबे में सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए डीजल अनुदान के लिए पोर्टल खोल दिया गया है.
राज्य में हाल के समय में करीब 202 बड़े छोटे कोल्ड स्टोरेज कार्यरत हैं, जिनकी कुल भंडारण क्षमता लगभग 12,30,176 मीट्रिक टन है. हालांकि राज्य में 12 जिले ऐसे हैं, जहां कोल्ड स्टोरेज की सुविधा किसानों को प्राप्त नहीं है. इसमें मधुबनी, नवादा, औरंगाबाद, बांका, सहरसा, जमुई, मुंगेर, जहानाबाद, लखीसराय, शेखपुरा, अरवल और शिवहर जिले शामिल हैं. यहां नए कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा तीन वर्षों के लिए योजना स्वीकृत की गई है. इस योजना में नए कोल्ड स्टोरेज टाईप-1 और टाईप-2 बनाने पर 50 प्रतिशत सहायता अनुदान का प्रावधान है.
कृषि मंत्री ने कहा कि बिहार राज्य में औसतन 5059 हजार मीट्रिक टन फल का उत्पादन सालाना होता है, जो देश स्तर पर आठवां स्थान रखता है. वहीं सब्जी उत्पादन में बिहार चौथे स्थान पर आता है और औसत 18021 हजार मीट्रिक टन उत्पादन सालाना करता है. इसी तरह आलू का उत्पादन लगभग 9075 हजार मीट्रिक टन सालाना होता है, जो देश में तीसरे स्थान है. इतनी अधिक मात्रा में फल, सब्जी और आलू के उत्पादन के बाद इन्हें रखने के लिए बड़े पैमाने पर कोल्ड स्टोरेज नहीं हैं. राज्य में अब तक कुल 202 कोल्ड स्टोरेज कार्यरत हैं, जिनकी कुल भंडारण क्षमता लगभग 12,30,176 मीट्रिक टन है. इन तमाम परेशानियों को देखते हुए छोटे-छोटे कोल्ड स्टोरेज के बारे में विचार किया जाएगा, जिससे छोटे किसानों को मदद मिले. उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से नए-नए अनुसंधान करने की अपील की.
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कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य में कार्यरत कोल्ड स्टोरेजों में सौर ऊर्जा स्थापना की योजना भी स्वीकृत है, जिसके अन्तर्गत राज्य के वर्तमान में मौजूद कोल्ड स्टोरेजों में से 50 इकाई को सौर ऊर्जा के माध्यम से संचालन कराया जाएगा, ताकि विद्युत ऊर्जा पर निर्भरता कम की जा सके और किसानों को सस्ते दर पर भंडारण की सुविधा प्राप्त कराई जा सके. इस पर 50 प्रतिशत और अधिकतम 17.50 लाख रुपये प्रति कोल्ड स्टोरेज सहायता अनुदान दिया जाएगा. साथ ही राज्य के सुदूर क्षेत्रों में फल और सब्जियों के भंडारण की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सौर ऊर्जा आधारित सोलर पैनल माइक्रो कूल चैंबर जिसकी भंडारण क्षमता 10 मीट्रिक टन है, उसकी इकाई लागत 25.00 लाख रुपये का 50 प्रतिशत अधिकतम 12.50 लाख रुपये अनुदान दिया जाएगा.
आगे मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि केन्द्र प्रायोजित योजना राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत पुराने कोल्ड स्टोरेजों के आधुनिकीकरण, भंडारण क्षमता का विस्तार, कोल्ड चेन के माध्यम से फल और सब्जियों के परिवहन के लिए रेफर भान, फलों को पकाने हेतु राइपनिंग चैंबर की स्थापना पर 35 प्रतिशत का अनुदान का प्रावधान है. इसके अतिरिक्त ताजे फलों और सब्जियों के पैकिंग के लिए ऑन फार्म पैक हाउस की स्थापना पर 50 प्रतिशत अधिकतम दो लाख रुपये अनुदान का प्रावधान है.
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कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि इस चर्चा में कोल्ड स्टोरेज के मालिकों की समस्याओं पर काफी गंभीरतापूर्वक विचार किया गया, जिसका निराकरण किया जाएगा. कृषि विभाग में इसके लिए एक नोडल पदाधिकारी बनाया जाएगा, जो श्रम संसाधन विभाग, उद्योग विभाग और ऊर्जा विभाग से समन्वय कर कोल्ड स्टोरेज के मालिकों की समस्याओं का समाधान करने में मदद करेगा.
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