यूपी में पराली जलाने की घटनाओं पर बड़ा एक्शन, 3,996 लोगों पर दर्ज हुई FIR

यूपी में पराली जलाने की घटनाओं पर बड़ा एक्शन, 3,996 लोगों पर दर्ज हुई FIR

Stubble Burning Cases: हाल ही में यूपी के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने पराली प्रबंधन को लेकर समीक्षा बैठक की थी. बैठक में बताया गया कि प्रदेश में हर वर्ष लगभग 2.096 करोड़ मीट्रिक टन पराली का उत्पादन होता है. 

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यूपी में पराली जलाने की घटनाओं पर बड़ा एक्शन, 3,996 लोगों पर दर्ज हुई FIRयूपी में पराली जलाने की घटनाओं में आई कमी

यूपी सरकार ने कृषि और पर्यावरण प्रबंधन के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. योगी सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि प्रदेश में पिछले सात वर्षों में लगातार पराली जलाने (Stubble Burning) की घटनाओं में तेजी से गिरावट हो रही है. प्रदेश में वर्ष 2017 में जहां पराली जलाने के 8,784 मामले दर्ज किये गये थे, वहीं वर्ष 2023 में 3,996 ही मामले सामने आए हैं. अगर पिछले सात वर्षों में नजर डालें तो पराली जलाने के 4,788 मामलों में कमी दर्ज की गयी है. सरकार की नीतियों के जरिये प्रदेश के अन्नदाता पराली को जलाने की जगह उससे अपनी आय बढ़ा रहे हैं. इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि हो रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी सुधार हुआ है. 

हर वर्ष 2.096 करोड़ मीट्रिक टन पराली का हो रहा उत्पादन

हाल ही में यूपी के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने पराली प्रबंधन को लेकर समीक्षा बैठक की थी. बैठक में बताया गया कि प्रदेश में हर वर्ष लगभग 2.096 करोड़ मीट्रिक टन पराली का उत्पादन होता है. इसमें से 34.44 लाख मीट्रिक टन चारा व 16.78 लाख मीट्रिक टन अन्य उपयोग में लाया जा रहा है. इसी तरह 1.58 करोड़ मीट्रिक टन पराली इन-सीटू एवं एक्स-सीटू मैनेजमेंट के जरिये निस्तारित किया जा रहा है. 

यही वजह है कि यूपी सरकार द्वारा उठाए गए सटीक प्रबंधन की वजह से पराली जलाने की घटनाओं में बड़ी गिरावट आई है. इससे प्रदेश में प्रदूषण में भी कमी आई है. इससे न केवल पर्यावरण को लाभ पहुंच रहा है बल्कि किसानों को उनके अवशेषों के औद्योगिक और घरेलू उपयोग के माध्यम से आय के नए स्रोत उपलब्ध कराए जा रहे हैं.  

सबसे कम फतेहपुर में पराली जलाने के 111 मामले 

योगी सरकार द्वारा पराली के औद्योगिक उपयोगी की पहल से धान के भूसे को औद्योगिक और घरेलू उत्पादों में उपयोग करने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के कई अवसर सृजित हुए है. इसके अलावा जैविक खेती और एलसीवी (लीफ कम पोस्ट वेस्ट) के उपयोग को बढ़ावा देकर मिट्टी की उर्वरता में सुधार किया गया. इससे किसानों की आय में वृद्धि हुई और उन्हें नए बाजारों में प्रवेश करने का मौका मिला. वहीं पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने में कई जिलों ने अहम भूमिका निभायी है. इनमें सबसे कम घटनाएं महाराजगंज में 468, झांसी में 151, कुशीनगर में 118 और फतेहपुर में 111 में दर्ज की गईं.

यूपी में फसल अवशेष प्रबंधन को बढ़ावा

इन जिलों ने बेहतर प्रबंधन और जागरूकता अभियानों के माध्यम से शानदार प्रदर्शन किया है. बता दें कि प्रदेश में साढ़े सात वर्ष पहले पराली जलाने की समस्या जो लंबे समय से पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनी हुई थी, आज पूरी तरह से नियंत्रण में है. मुख्यमंत्री योगी सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन को बढ़ावा देने के प्रयासों से प्रदूषण के स्तर में कमी आई है.

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