
Lucknow News: योगी सरकार ने माटीकला को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. कुम्हारों और माटीकला के क्षेत्र में कार्य करने वाले परंपरागत रोजगार को बढ़ाया देने के लिए खादी ग्रामोद्योग विभाग ने पहल की है. इसी कड़ी में लखनऊ के जिला ग्रामोद्योग अधिकारी वीके श्रीवास्तव ने बताया कि 2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर डालीबाग में प्रजापति समाज के परंपरागत कारीगरों और शिल्पियों को बिजली चालित मशीन का नि:शुल्क वितरण किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इससे कुम्हारों को मिट्टी के खिलौने बनाने में मदद मिलेगी. इससे उनकी आमदनी बढ़ने के साथ ही रोजगार के क्षेत्र में सकारात्मक पहल होगी.
बता दें कि गांवों और कस्बों में मिट्टी के बर्तन, कुल्हड़ आदि बनाने वाले कारीगर बढ़ती महंगाई के चलते परंपरागत कारोबार से किनारा कर रहे है. इसके पीछे बर्तन बनाने वाले मिट्टी की कमी और प्लास्टिक से बने बर्तनों की डिमांड बढ़ने से हुआ है. ऐसे में सरकार की ओर से माटीकला बोर्ड की स्थापना कर इससे जुड़े लोगों को रोजगार सृजन के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है.
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ताकि वे रोजगार के जरिए अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकें. बोर्ड की ओर से समय-समय पर कारीगरों को कौशल प्रशिक्षण, उन्नत किस्म के टूलकिट एवं वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाती है. उल्लेखनीय है कि प्रदेश में माटी कला को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार विभिन्न योजनाओं का संचालन कर रही हैं.
इससे पहले योगी सरकार ने बजट में प्राविधानित की गई धनराशि के अंतर्गत माटी कला बोर्ड को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न मदों में होने वाले खर्चे और समेत विस्तृत कार्ययोजना मांगी थी.
माटी कला बोर्ड द्वारा सौंपी गई कार्य योजना व संबंधित योजनाओं के संचालन के लिए अनुमानित व्यय को ध्यान में रखकर ही इस आर्थिक अनुदान को स्वीकार किया गया है. इसी के आधार पर उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड को आर्थिक अनुदान की दूसरी किस्त के तौर पर 1.66 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई है.
प्रदेश की कोई भी प्रदर्शनी हो तो निश्चित तौर पर माटी कला के बने उत्पाद अपने आप ही सभी का मन मोह लेते हैं. यही कारण है कि प्रदेश की माटी कला की कलाकृतियां न केवल आम लोगों बल्कि समाज के सम्भ्रांत लोगों के बीच भी काफी पसंद किए जा रहे हैं. इसका एक कारण यह भी है कि प्रदेश में माटी शिल्पकारों को पारंपरिक कला को प्रश्रय देने के साथ ही व्यापारिक दृष्टिकोण से कौशल विकास तथा गुणवत्ता नियंत्रण जैसे विषयों में भी समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है.
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