छत्तीसगढ़ सरकार ने नदी तट रोपण योजना को कारगर एवं सफल प्रयोग बताते हुए कहा है कि इस योजना के कारण बीते 04 सालों में राज्य की 40 नदियों के तट पर लगभग 47 लाख से अधिक पौधे लगाए जाने के बाद नदियों के आसपास ग्रीन कवर में भरपूर इजाफा हुआ है. सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक इस योजना के तहत नदियों के आसपास ग्रीन कवर में 04 हजार हेक्टेयर से ज्यादा रकबा जुड़ा है, साथ ही नदियों के दोनों ओर पर्यावरण संतुलन की स्थितियां बेहतर हुई हैं. इससे नदी तट क्षेत्रों की खूबसूरती बढ़ने का सीधा असर स्थानीय लोगों की सेहत पर सकारात्मक रूप से पड़ा है.
छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वी. श्रीनिवास राव ने बताया कि चार साल पहले यह योजना शुरू होने पर वर्ष 2019 में 40 चिन्हित नदियों के आसपास 831 हेक्टेयर जमीन पर 9.14 लाख पौधों का रोपण किया गया था. इसके बाद हर साल ग्रीन कवर का दायरा बढ़ाने की कवायद के तहत साल 2020 में नदियों के दोनों तटों पर 845 हेक्टेयर जमीन में 8.77 लाख पौधे, 2021 में 1647 हेक्टेयर में 17.87 लाख पौधे और वर्ष 2022 में 999 हेक्टेयर जमीन में 11 लाख पौधे नदी तट पर लगाए गए.
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राव ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दिशा निर्देशन में शुरू की गई इस योजना के तहत वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने राज्य की उन तमाम छोटी बड़ी 40 नदियों को चिन्हित किया, जिनके जलक्षेत्र से राज्य का अधिकांश इलाका कवर हो जाता है. केंद्र सरकार के कैम्पा फंड और वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की निर्धारित बजट राशि से इस योजना का संचालन किया गया.
इसमें नदी तट रोपण के लिए शामिल की गई नदियों में महानदी और इंद्रावती जैसी प्रमुख बड़ी नदियों के अलावा शिवनाथ, फुलनदेई, केंदई, लीलागर, हसदेव, आगर, रेड, मेघनाला, झींका, केलो, मोरन और महान नदी सहित तमाम स्थानीय नदियों को शामिल किया गया.
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राव ने बताया कि इस अभियान ने ग्रीन कवर बढ़ाकर प्रकृति की सेवा करने के साथ रोजगार सृजित कर श्रमिकों की सेवा भी की है. उन्होंने बताया कि नदी तट रोपण अभियान के कारण राज्य में श्रमिकों के लिए 9.63 लाख मानव दिवस का रोजगार भी उत्पन्न हुआ.
उन्हाेंने कहा कि इस अभियान में शामिल नदियों के तट पर बसे 372 गांव के किसानों ने सब्जी उत्पादन करके भी अतिरिक्त लाभ लिया. इससे नदी तट के आसपास के किसानों को भूमि कटाव की समस्या से भी निजात मिला. साथ ही इससे किसानों की कृषि उपज में इजाफा हो रहा है.
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