Explainer: राजस्थान देश का पहला राज्य बना जहां मिनिमम आय की गारंटी, आखिर क्यों पड़ी इसकी जरूरत?

Explainer: राजस्थान देश का पहला राज्य बना जहां मिनिमम आय की गारंटी, आखिर क्यों पड़ी इसकी जरूरत?

राजस्थान की कांग्रेस सरकार इसे सामाजिक सुरक्षा के लिए एक मील का पत्थर योजना के रूप में प्रचारित कर रही है. लेकिन क्या इस बिल से राजस्थान के ग्रामीण जीवन में कोई बदलाव हो पाएगा? लेकिन सवाल है कि आखिर सरकार को यह बिल लाने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या यह बिल राजनीतिक रूप से कांग्रेस के काम आ पाएगा? क्योंकि इसी साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं.  इस रिपोर्ट में आपको इन्हीं सवालों के जवाब दिए जाएंगे, लेकिन उससे पहले जान लें कि आखिर इस बिल में है क्या? 

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Explainer: राजस्थान देश का पहला राज्य बना जहां मिनिमम आय की गारंटी, आखिर क्यों पड़ी इसकी जरूरत?राजस्थान देश का पहला राज्य बना जहां मिनिमम आय की गारंटी. फाइल फोटो- Ashok Gehlot/ Facebook

राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार यानी 21 जुलाई को एक ऐतिहासिक बिल पास हुआ. इस बिल का नाम है राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी योजना. इसके तहत प्रदेश में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में साल में 125 दिन रोजगार दिया जाएगा. साथ ही सामाजिक सुरक्षा के लिए दी जाने वाली पेंशन भी कम से कम एक हजार रुपये होगी. इससे बुजुर्ग, दिव्यांग, विधवा और एकल महिलाओं को अब कम से कम एक हजार रुपये पेंशन दी जाएगी. सबसे बड़ी बात यह है कि पेंशन हर साल 15 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. इसका आधार कम से कम एक हजार रुपये होगा. 

राजस्थान की कांग्रेस सरकार इसे सामाजिक सुरक्षा के लिए एक मील का पत्थर योजना के रूप में प्रचारित कर रही है. लेकिन क्या इस बिल से राजस्थान के ग्रामीण जीवन में कोई बदलाव हो पाएगा? लेकिन सवाल है कि आखिर सरकार को यह बिल लाने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या यह बिल राजनीतिक रूप से कांग्रेस के काम आ पाएगा? क्योंकि इसी साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं. 

इस रिपोर्ट में आपको इन्हीं सवालों के जवाब दिए जाएंगे, लेकिन उससे पहले जान लें कि आखिर इस बिल में है क्या? 

साल में 125 दिन काम, कम से कम एक हजार रुपए पेंशन

विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री और नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने  कहा है कि इस बिल के पास होने से अब प्रदेश के सभी ग्रामीण एवं शहरी परिवारों को साल में 125 दिन रोजगार मिलेगा. पहले मनरेगा और इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना में साल में 100 दिन काम मिलता था. साथ ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं के तहत वृद्धजन, विशेष योग्यजन, विधवा एवं एकल महिला को प्रतिमाह न्यूनतम एक हजार रुपये पेंशन की गारंटी के लिए महात्मा गांधी न्यूनतम आय गारंटी योजना शुरू की जाएगी. इसके लिए राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी विधेयक-2023 लाया गया है.

धारीवाल ने कहा कि कानून बनाकर इस तरह की सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है. पेंशन में हर साल 15 प्रतिशत स्वत: वृद्धि का प्रावधान किया गया है. यह बढ़ोतरी जुलाई में पांच प्रतिशत और जनवरी में 10 प्रतिशत की जाएगी. धारीवाल ने कहा कि कानून बन जाने के बाद ये सभी प्रावधान जनता को अधिकार के रूप में मिलेंगे. साथ ही आम लोगों को बढ़ती महंगाई से राहत भी मिलेगी. 

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क्या चुनावी फायदा लेना चाहते हैं गहलोत?

राजस्थान में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बिल के जरिए चुनावों में फायदा लेना चाहते हैं? सरकार के नुमांइदे कहते हैं कि यह आम लोगों का अधिकार है कि उन्हें सरकार रोजगार या मिनिमम आय दे. इसीलिए यह बिल लाया गया है. साथ ही इससे बढ़ती महंगाई से राहत मिलेगी, लेकिन विपक्ष इसे कांग्रेस की चुनावी राजनीति कहता है.

किसान तक ने भाजपा के प्रवक्ता सुरेश गर्ग से बात की. वे कहते हैं, “लोगों को उनकी जरूरत की चीजें मिलें, इससे हमें दिक्कत नहीं है, लेकिन ये सरकार लोगों को लॉलीपॉप दे रही है. जब हम सत्ता में थे तब पेंशन 500 रुपये थी. वसुंधरा राजे ने इसे बढ़ाकर 750 रुपये किया. मतलब 50 प्रतिशत पेंशन बढ़ाई. इन्होंने 750 को एक हजार रुपये किया है. साथ हर साल 15 प्रतिशत बढ़ाने की बात कह रहे. यह बढ़ोतरी 33 प्रतिशत की ही हुई. यानी हमसे कम. इससे यह गहलोत सरकार का एक जुमला है.” 

गर्ग जोड़ते हैं, “लोगों को रोजगार के साधन और अवसर मुहैया कराना सरकार की प्राथमिकता में होना चाहिए, लेकिन गहलोत सरकार लोगों को मुफ्त की आदत लगा रही है.”

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क्या इससे राजस्थान में कोई बदलाव होगा? 

बिल के पास होने के समय सरकार का कहना था कि इससे आय की गारंटी लोगों को मिलेगी. लेकिन क्या राजस्थान के लोगों की दशा में इससे कोई बदलाव होगा? मुख्यमंत्री गहलोत ने इसी साल बजट पेश कहते हुए सदन को बताया कि 2022-23 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 56 हजार 149 है. जो कि पिछले साल यानी 2021-22 से 14.85 प्रतिशत अधिक है.

पिछले 11 वर्षों में प्रति व्यक्ति आय में सर्वाधिक वृद्धि बीते साल 18.10 प्रतिशत रही. इस साल यह 14.85 प्रतिशत है.  राजस्थान की प्रति व्यक्ति आय में पिछले साल में 10.01 प्रतिशत की औसत वृद्धि हुई है. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह वृद्धि 7.89 प्रतिशत ही रही है. गहलोत का यह बयान विपक्ष की ‘मुफ्त की राजनीति’ का जवाब भी था.

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प्रदेश में आदिवासी बहुल प्रतापगढ़ जिला सबसे गरीब जिला है. मजदूर-किसान शक्ति संगठन से जुड़े कमल टांक से किसान तक ने इस सवाल का जवाब लेने की कोशिश की. वे कहते हैं, “प्रतापगढ़ जैसे गरीब जिले में अगर एक हजार रुपये किसी आदिवासी के बैंक खाते में जमा होता है तो यह उससे जीवन यापन का मुख्य आधार बनता है. इसे मुफ्त की राजनीति कहना ठीक नहीं है. प्रदेश में करीब एक करोड़ लोग सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना से जुड़े हैं. इनमें से करीब 70 फीसदी बुजुर्ग 58-75 साल की उम्र के हैं. इनकी पेंशन इस बिल के कारण एक हजार रुपये हो जाएगी. बुढ़ापे में एक हजार रुपए महीने की आर्थिक सहायता बहुत बड़ी बात है. वहीं, राजस्थान जैसे सामंती मिजाज वाले प्रदेश में विधवा, एकल महिलाओं के लिए यह बड़ी राशि होती है.”
 

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